अधूरी योजना का लोकार्पण कर आये सीएम त्रिवेन्द्र। सोशल मीडिया पर उठ रहे सवाल
– सोशल मीडिया पर चिनवाड़ीडांडा पम्पिंग योजना को लेकर उठ रहे सवाल
– चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
पौड़ी। क्या सच में सीएम से अधूरी योजना का लोकार्पण करवा दिया। यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। कल्जीखाल की पूर्वी और पश्चिमी मनियारस्यूं पट्टी के कई गांवों की जनता के पेयजल संकट को खत्म करने के लिए बनाई गई सत्ताईस करोड़ की चिनवाड़ीडांडा पंपिग योजना का सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जैसे ही लोकार्पण किया तुरंत ही सोशल मीडिया में लोगो ने अधूरी योजना बताकर सीएम पर ही सवाल खड़े करने शुरू कर दिए।पौड़ी निवासी अजय रावत फेसबुक पर लिखते है कि, पेयजल संसाधन एवं विकास निगम द्वारा सत्ताईस करोड़ की लागत से बनी इस पम्पिंग योजना का लोकार्पण तो करा दिया। लेकिन यह जानने की किसी ने जहमत नही उठाई की योजना की डिस्ट्यूबीशन लाइन जगह-जगह चोक है, अधिकांश जलस्तंभो में आज तक पानी नही आया। वही फेसबुक यूजर नरेंद्र सिंह लिखते है कि, इस योजना में विभागीय अफसरों द्वारा घोर लापरवाही बरती गई है।जगमोहन डाँड़ी लिखते है कि, मैं लगातार इस पम्पिंग योजना के लोकार्पण का विरोध करता रहा। इस योजना से नियमित जलापूर्ति अभी तक हुई ही नही। मेरे घर मे एक बूंद भी पानी नही आया, विभाग द्वारा सीएम को गुमराह कर इस योजना के लोकार्पण करवा दिया गया। वही हरक सिंह रावत के समर्थक विनोद रावत लिखते है कि, इस शिलापट्ट पर मंत्री हरक सिंह का नाम क्यो लिखा गया, न वे इस विभाग के मंत्री है और न ही उन्हें बुलाया गया। नाकामियों के इस स्मारक में अपने नेता के नाम की उन्हें आपत्ति है।
इन गांवो को मिलेगा पानी
कल्जीखाल ब्लाक में पड़ने वाली पूर्वी और पश्चिमी मनियारस्यूं की पट्टियों में 32 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से घंडियाल, बनेख, धारी, कलेख, पुंडोरी, गढ़कोट, कुई, साकनी छोटी, साकनी बड़ी, कुंड मझेडा ग्राम पंचायतें पेयजल समस्या से जूझ रही थी, ऊपरी क्षेत्र में होने के कारण इन गांवों में गरमी शुरू होते ही जल संकट गहराना शुरू हो जाता था।
सालो से थी मांग
गांवों के लिए चिनवाड़ीडांडा पेयजल योजना स्वीकृत करने की मांग को लेकर क्षेत्रवासी कई सालों से आंदोलन कर रहे थे। वर्ष 2011 में तो क्षेत्रवासियों ने घंडियाल में ग्रामीणों ने कई दिनों तक क्रमिक अनशन किया था, तब प्रशासन की तरफ से चिनवाड़ी डांडा पंपिंग योजना का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। तब से अब चार साल बाद योजना तो बनी लेकिन जलापूर्ति हुए बिना ही लोकार्पण पर सवाल खड़े होने लगे। अगर सच में ऐसा हुआ है तो ऐसा करवाने वाले अफसरों पर तुरंत कार्रवाई होनी जरूरी है।