नवरात्रि के पहले दिन प्रशासन और भक्तों के बीच टकराव। मंदिर जाने से रोका, भड़के भक्त
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। आज से नवरात्र शुरू हो गए है और आज से ही माता के भक्त कलश स्थापित कर माता की पूजा शुरू करते है। आज ही माँ के भक्त चामुंडा देवी मंदिर में कलश स्थापित करने के लिये जा रहे थे, मगर वन विभाग के साथ स्थानीय पुलिस ने वन संरक्षण अधिनियम का हवाला देकर माँ के भक्तों को वहां जाने से रोक दिया। माँ के भक्त एक बार फिर चामुंडा माँ के दर्शन करने के लिए नहीं जा सके भक्तो को रोके जाने से रोष फ़ैल गया। मगर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण का हवाला देकर माँ के भक्तों को माँ चामुंडा देवी मंदिर तक नहीं जाने दिया। माता के भक्तों का कहना है कि, माँ चामुंडा देवी मंदिर का जिक्र पुराणों में है। मगर वन महकमा इस बात को मानने के लिये तैयार नहीं है। माँ के भक्तों की कामना है कि, माँ चामुण्डा देवी मंदिर में पूर्व की भांति ही पूजा और आराधना की जाये और वे इसके लिए प्रयास भी कर रहे है। माँ चामुंडा देवी मंदिर राजा जी पार्क क्षेत्र में स्थित है और जब भी नवरात्र आते है यहाँ भक्तों और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बनती है।
माता के भक्त माँ के जयकारे लगाते हुए जा रहे थे कि, जब वे पार्क क्षेत्र में जाने लगे वही पर पार्क कर्मचारियों ने पुलिस के साथ उनको रोक लिया और आगे नहीं जाने के निर्देश दिये भक्ति और आस्था में डूबे भक्तों का जोश यह बात सुनते ही काफूर हो गया और उन्होंने जाने का प्रयास भी किया और इस दौरान भक्तों और पुलिस में नोकझोक भी हुई। मगर पुलिस माँ के भक्तों को बिना अनुमति के पार्क क्षेत्र में नहीं जाने देने पर अड़ी रही। जिसकी बजह से भक्तों को एक बार फिर से निराश ही वापस लौटना पड़ा है। माँ चामुंडा देवी में पूर्व की स्थिति लाने के लिए समिति द्वारा प्रयास भी किये जा रहे है और फिर भी अनुमति नहीं मिली तो यह भक्त रुकने वाले नहीं है और निरंतर लडाई लड़ने, आन्दोलन करने की बात कर रहे है।
बता दें कि, राजा जी राष्ट्रीय पार्क को संरक्षित वन क्षेत्र माना जाता है और यहाँ पर वन जीवो का संरक्षण किया जाता है और इस क्षेत्र में किसी भी तरह की मानवीय गतिविधि प्रतिबंधित होती है। मगर पार्क क्षेत्र में जहां भी कोई एतिहासिक मंदिर आदि है, वहां पर भक्तो को जाने की अनुमति प्रदान की जाती है। माँ चामुंडा देवी का मंदिर पार्क क्षेत्र में है, मगर पार्क प्रशसन का मानना है कि, वहां पर कोई मंदिर नहीं था, जबकि भक्तो का मानना है कि, इस मंदिर का जिक्र पुराणों में है। पार्क प्रशसन का कहना है कि, पार्क में वन जीवों की विलक्षण प्रजातियाँ है और इनके नष्ट होने का खतरा है और इसी के साथ वन संरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन होता है। इसीलिए पार्क में बिना अनुमति किसी को नहीं जाने दिया जा सकता है। श्रद्धालुओ के जाने की सूचना हमे पहले ही मिल गई थी, इसके लिए पुलिस अधीक्षक महोदय को भी पत्र लिखा गया था कि, यहां पर फ़ोर्स पर्याप्त संख्या में लगाई गई है। इन श्रद्धालुओ को समझा बुझा कर कलश को यही मंदिर में स्थापित करवाया गया है।