लीपापोती की तैयारी उत्तराखंड के राज्य सहकारी बैंक में निदेशकों और अन्य पहुंच वाले व्यक्तियों को गिफ्ट देने के नाम पर लगभग 23 लाख रुपए का गिफ्ट घोटाला हो गया और इस पर जांच के नाम पर अभी तक सिर्फ लीपापोती हो रही है।
इस गिफ्ट घोटाले को लेकर सहकारिता मंत्रालय और सहकारी बैंक आमने सामने आ गया है।
यह गिफ्ट सेट कहां से खरीदे गए और किस को दिए गए, खरीद के समय क्या निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया, यह जांच के महत्वपूर्ण विषय हैं।
सहकारिता विभाग अब सहकारी बैंक की इस कारस्तानी पर जांच कराने की बात कह रहा है।
राज्य सहकारी बैंक ने अपने निदेशकों को तांबे के महंगे गिफ्ट सेट भेंट किए थे, इनकी कीमत बाजार में मात्र दस हजार से भी कम है जबकि इन्हें सीधे दुगनी कीमत 20,819 का दिखाया गया है। इसके अलावा साढे तीन लाख के 1572रुपये प्रति की दर से 200 बैग, डायरी, कैलेंडर आदि सामान भी खरीद पर लगभग 22लाख87 हजार864रुपये खर्च किए हैं। बैग तो अधिकांश सदस्यों तक पहुंचे ही नही।
सहकारी बैंक की आमसभा में निर्णय तो यह लिया गया था कि निदेशकों को यह गिफ्ट दिए जाएंगे, किंतु बोर्ड में मात्र 18 सदस्यों के लिए यह गिफ्ट तय हुए थे जबकि 60 डिनर सेट से खरीदे गए हैं।
अब सहकारी बैंक से यह जवाब नहीं देते बन रहा है कि 18 सदस्यों के अलावा बाकी डिनर सेट किस किस को दिए गए और कहां दिए गए !
अब सहकारी बैंक के डायरेक्टर ही इस पर सवाल उठाते हुए इसे फिजूलखर्ची करार दे रहे हैं।
यह जांच एक सप्ताह में पूरी होनी थी लेकिन एक महीने बाद भी इसमें अब तक कुछ नहीं हुआ है।
खरीद प्रक्रिया से लेकर कई अन्य सवाल भी इस मामले में उठ रहे हैं।
कोऑपरेटिव निबंधक बीएम मिश्र का कहना है कि जल्दी ही जांच पूरी कर ली जाएगी।हालाकि लाॅकडाउन के बहाने सहकारी बैंक प्रबंधन इस जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।