नकुल पंत
चम्पावत। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत हेम बहुगुणा और उनकी पत्नी प्रियंका बहुगुणा जनता कफ्र्यूू के दिन से ही कोरोना के खिलाफ जंग में जुटे हुए हैं। बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी कहीं कर्तव्य में बाधा न बन जाए, इसलिए 20 मार्च को ही 4 साल की बेटी प्रज्ञा और 7 साल के बेटे पार्थ को दादा-दादी के पास अल्मोड़ा स्थिति गांव छोड़कर लोगों में कोरोना के भय को दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श में जुटे हुए हैं।
हेम बहुगुणा ने बताया कि 23 मार्च से 1 अप्रैल तक जनपद आपातकालीन परिचालन केंद्र में टेलीफोनिक परामर्श देने के बाद 2 अप्रैल से वह पूरे जनपद में बने राहत शिविरों और क्वारन्टीन किये गए यात्रियों के मानसिक स्वास्थ्य का जायजा लेकर उनके मनोबल को बढ़ाने वाली टीम का हिस्सा हैं। वहीं उनकी पत्नी को राज्य सरकार द्वारा संचालित 104 हेल्पलाइन में आने वाली मानसिक समस्याओं के टेलीफोनिक परामर्श की जिम्मेदारी मिली हुई है।
प्रियंका बहुगुणा बताती हैं कि उनकी 4 साल की बेटी प्रज्ञा फोन पर कहती हैं कि मम्मी कोरोना भाग जाएगा तो आप मेरे पास आ जाना।
केंद्रीय विद्यालय लोहाघाट में कक्षा एक में पढऩे वाला बेटा गांव में रहकर ही रोज रात को फोन पर दिए होमवर्क को बताता है।
ऐसे समय में जब कि पूरा देश कोरोना के कारण विभिन्न मोर्चो में संघर्ष कर रहा है, हमारे लिए परिवार से बढ़कर हमारा प्रोफेशन है। लोगों के मन की सेहत अच्छी रहे, तभी सकारात्मक सोच के कारण हम कोरोना को टक्कर दे पाएंगे।
कोरोना जन स्वास्थ्य के सामने एक चुनौती है और सामाजिक तथा व्यवहार परिवर्तन संचार इससे निपटने का एकमात्र उपाय है। हम विभिन्न माध्यमों से सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए मनोसामाजिक समस्याओं को सुलझा पाएंगे।