पुरोला
(नीरज उत्तराख॔ड़ी)
यमुना घाटी के विकासखंड नौगांव में सीमित संसाधनों व तंग आर्थिक हालत के साथ दृष्टि दिव्यांग और अनाथ बच्चों के जीवन में शिक्षा की रोशनी लाने और उनके जीवन में ममता की छांव मुहैया कराने के लिए विजय पब्लिक आवासीय स्कूल की स्थापना कर अपना जीवन समर्पित करने वाली विजयलक्ष्मी जोशी की परिचय की मोहताज नहीं।
विगत वर्ष बड़कोट गंगनाणी में आयोजित बसंत उत्सव मेला कुंड की जातर में सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जिला पंचायत उत्तरकाशी द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया।
विजयलक्ष्मी जोशी तुनाल्का में विजय पब्लिक आवासीय स्कूल की संस्थापक व संचालक है। जो समाज के आर्थिक रूप से कमजोर अनाथ दृष्टि दिव्यांग बच्चों की शिक्षा -दीक्षा ,पालन -पोषण कर उनके जीवन में शिक्षा की रोशनी लाने तथा उन्हें मां की ममता और पिता का स्नेह दे रही हैं।
विजय पब्लिक दिव्यांग आवासीय विद्यालय तुनाल्का में 45 दिव्यांग नौनिहाल अक्षर बांच रहें हैं जिनमें 17 बालक तथा 23 बालिकाएं हैं तथा उनके पढ़ाने के लिए 7 शिक्षकों की व्यवस्था हैं । 2 बाबर्ची तथा 2 आया सहित कुल 11 का स्टाफ कार्य कर रहे हैं ।
बेसिक से जूनियर तक 40 दृष्टि दिव्यांग बच्चें ब्रेल लिपि में अध्ययन कर रहे हैं । सीमित संसाधनों तथा आर्थिक सहायता के अभाव में बच्चों के खाने पीने रहने से लेकर किताबें कपड़े की व्यवस्था की गई है ।
विद्यालय निर्देशिका विजय लक्ष्मी जोशी व प्रबन्धक बीरेन्द्र दत्त जोशी ने बताया कि समिति संसाधनों तथा आर्थिक हालत के चलते विद्यालय संचालन में कठिनाई से जूझना पड़ रहा है।लेकिन उन्हें समय समय पर जो सामाजिक सरोकारों से सहयोग मिलता है वह उन्हे प्रेरित करता है ।
क्षेत्र के विधायक केदार सिंह रावत विद्यालय में ढांचागत सुविधाएं जुटाने के लिए समय समय पर सहयोग करते रहें हैं । कक्षा 6 में पढ़ने वाली गियूंला ब्रह्मखाल की प्रियांशी तथा टेकरा ब्रहमखाल की ही कक्षा 3 में पढने वाली सरिता से जब पूछा कि वे पढ़ लिखकर क्या बनना चाहती हैं ? बड़े अदब से कहा ,सर हम ‘मैडम बनना चाहती हैं ।
प्रियांशी और सरिता ने अपनी सुरीली आवाज में गीत संगीत भी सुनाया।।देशभक्ति गाना सुन कर लगा कुदरत जिससे कुछ छीनती हैं, उससे कुछ अतिरिक्त भी देती है ।
विगत वर्ष जिला पंचायत उत्तरकाशी द्वारा आयोजित बसंत उत्सव मेला कुण्ड की जातर में विजय पब्लिक स्कूल के कुमारी ललिता,प्रियंका, सरिता, रक्षा, प्रियांशी, सुमित, गिरीश, सचिन, नितिन और राजपाल को उनके अंदर छिपी प्रतिभा अच्छे लेखन,कला,गायन के लिए सम्मानित किया गया है ।
आवश्यकता है,इन प्रतिभाओं को तराशने और निखारने की और इस काम को बखूबी अंजाम दे रही है- विजय लक्ष्मी जोशी । कुदरत ने इन असहाय दृष्टिहीन बच्चों को ममता की छाँव के रूप में एक लक्ष्य को साधने के लिए विजय लक्ष्मी जैसी ममतामयी शिक्षिका भी दी है। विद्यालय संचालन में उनके पति वीरेन्द्र जोशी कंधे से कंधा मिलाकर उनका सहयोग करते हैं|