देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक बड़ी खबर सामने आई है। जिला आबकारी अधिकारी केपी सिंह पर कभी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गाज गिर सकती है। सूत्रों के अनुसार, डीएम देहरादून सविन बंसल ने जिला आबकारी अधिकारी के खिलाफ निलंबन की संस्तुति शासन को भेज दी है।
निजी हित में लोकहित का विरोध, हाईकोर्ट को भेजी भ्रामक आख्या
सूत्रों ने बताया कि जिला आबकारी अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने पदेन दायित्वों के विपरीत कार्य करते हुए जनहित के निर्णय का लगातार विरोध किया। यही नहीं, उन्होंने शासन और प्रशासन को गुमराह करते हुए निजी हित में हाईकोर्ट को भ्रामक आख्या भी भेजी, जिससे मामले में गंभीरता और बढ़ गई।
जनसुरक्षा के लिए डीएम का बड़ा फैसला, हाईकोर्ट और शासन ने भी ठहराया सही
मामला छह शराब की दुकानों के शिफ्टिंग से जुड़ा है, जिन्हें शहर के संवेदनशील और यातायात में बाधा पहुंचा रहे स्थानों से हटाने के आदेश डीएम ने दिए थे। ये दुकानें सनपार्क इन चौक, चूना भट्टा, बिंदाल तिराहा और रोजगार तिराहा जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर स्थित थीं।
सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में एसएसपी देहरादून और पुलिस अधीक्षक यातायात ने इन स्थानों पर हो रहे लगातार सड़क हादसों और जाम की मुख्य वजह शराब की दुकानों को बताया था। इसके बाद डीएम ने जनसुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए इन दुकानों को अन्यत्र शिफ्ट करने के आदेश जारी किए थे।
इस आदेश के खिलाफ संबंधित अनुज्ञापियों ने हाईकोर्ट, आबकारी आयुक्त और शासन में अपील की थी, लेकिन सभी स्तरों पर डीएम के फैसले को सही ठहराया गया।
फिर भी नहीं सुधरे अधिकारी, सीएससी की भी कड़ी टिप्पणी
इतना सब होने के बावजूद जिला आबकारी अधिकारी केपी सिंह पर आरोप है कि उन्होंने आदेशों का लगातार विरोध किया और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी लाभ के लिए काम किया।
सड़क सुरक्षा समिति (CSC) ने भी इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि अधिकारी का यह रवैया जनहित के विरुद्ध है और ऐसे में उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री धामी का सुशासन का संकल्प, जनसुरक्षा सर्वोपरि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सुशासन और पारदर्शिता के संकल्प के तहत देहरादून जिला प्रशासन जनसुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। इसी नीति के तहत शराब की दुकानों की शिफ्टिंग का निर्णय लिया गया था।
फिलहाल, डीएम द्वारा की गई निलंबन की संस्तुति और उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश पर शासन की मुहर लगना बाकी है। लेकिन जिस तरह के गंभीर आरोप जिला आबकारी अधिकारी पर लगे हैं, उससे साफ है कि उनके खिलाफ जल्द ही कड़ी कार्रवाई हो सकती है।


