उत्तराखंड में SIR से पहले चुनाव आयोग अलर्ट, कई मतदाताओं के लिए मुश्किलें बढ़ने के संकेत

भारत निर्वाचन आयोग ने देश के कई राज्यों में मतदाता सूचियों की व्यापक जांच और सुधार प्रक्रिया तेज कर दी है। आयोग की यह कवायद दूसरे चरण में पहुंच चुकी है और आने वाले महीनों में उत्तराखंड भी इस विशेष गहन पुनरीक्षण, यानी SIR प्रक्रिया का हिस्सा बनने जा रहा है। इससे पहले ही उत्तराखंड मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सबसे पहले वर्ष 2003 और 2025 के मतदाता आंकड़ों का मिलान किया जा रहा है, ताकि किसी भी त्रुटि को समय रहते सुधारा जा सके।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, हर वर्ष मतदाता सूची का प्रारूप और अंतिम संस्करण जारी किया जाता है, जिससे मृत मतदाताओं के नाम हटाने, नए युवाओं को जोड़ने और गलतियों को दूर करने में आसानी हो सके। इसी प्रक्रिया से 18+ हो चुके युवाओं को मतदान का अधिकार मिल पाता है। समय-समय पर चलाए जाने वाले अभियान इस सूची को अधिक सटीक और अद्यतन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

12 राज्यों में जारी SIR का दूसरा चरण

बिहार में मतदाता संख्या को लेकर विवाद के बाद आयोग ने वहां SIR की शुरुआत की थी। इसके बाद दूसरे चरण में छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, अंडमान–निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में यह प्रक्रिया चल रही है।

इन सभी राज्यों में पुनरीक्षण कार्य जनवरी 2026 के अंतिम सप्ताह तक पूरा कर लिया जाएगा और 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची जारी होगी।

तीसरे चरण में शामिल होगा उत्तराखंड

दूसरा चरण समाप्त होने के बाद उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में SIR शुरू होने की संभावना है। इस दौरान हर मतदाता को अनिवार्य रूप से फॉर्म भरना होगा।

हालांकि—

जिन मतदाताओं के नाम वर्ष 2003 की सूची में मौजूद हैं, उन्हें कोई दस्तावेज नहीं देना पड़ेगा।

यदि किसी मतदाता के माता–पिता का नाम 2003 की सूची में दर्ज है, तो भी दस्तावेज देने से छूट मिलेगी।

केवल वही लोग दस्तावेज़ जमा करेंगे, जिनके नाम 2003 के बाद जोड़े गए थे।

विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण नियम

अन्य राज्यों से शादी के बाद उत्तराखंड आई महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी होगी।

उन्हें या तो—

• अपने नाम का 2003 की मतदाता सूची में मौजूद होने का प्रमाण देना होगा,

या

• यदि उनका नाम उस वर्ष की सूची में नहीं है, तो अपने माता-पिता का 2003 वाला रिकॉर्ड प्रस्तुत करना पड़ेगा।

इन मतदाताओं के लिए बढ़ सकती है दिक्कत

जैसे ही उत्तराखंड में SIR शुरू होगा, राज्य की मतदाता सूची ‘फ्रीज’ कर दी जाएगी।

मतलब—

• नाम, पता या विधानसभा क्षेत्र में परिवर्तन अस्थायी रूप से बंद हो जाएगा।

• इसलिए जिन्हें भी वोटर आईडी में किसी सुधार की जरूरत है, वह तुरंत voters.eci.gov.in पोर्टल के जरिए इसे पूरा कर लें।

इसके अलावा, जिन व्यक्तियों का नाम दो जगह दर्ज है, उन्हें SIR शुरू होने से पहले ही BLO से संपर्क कर एक स्थान से नाम हटवा लेना चाहिए। SIR शुरू होने के बाद दोहरे नाम वाले मतदाताओं को नोटिस भेजा जाएगा और उन्हें SDM कार्यालय जाकर अपनी सफाई देनी होगी।

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