रिपोर्ट/बिजेंद्र राणा
मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से मनरेगा में रोजगार के लाले आ गए जिससे उत्तराखंड में आये प्रवासियों के सामने इस संक्रमण के दौर में एक और समस्या खड़ी हो गयी हैं ।
दरअसल, पूरा प्रदेश कोरोना की त्रासदी से जूझ रहा है एवं इस स्थिति में प्रवासियों के आवागमन का दौर जारी हैं।
यदि प्रदेश के गांव में ही रोजगार प्रवासियों को मिल जाए तो हमारे नवयुवकों रोजगार के लिए अन्य राज्यों में प्रवास नहीं करना पड़ेगा।
ग्रामीण स्तर पर रोजगार के लिए मनरेगा एक अच्छी एवं सशक्त योजना है परंतु वर्तमान समय में मनरेगा में भी रोजगार मिलना दुर्लभ हो चुका हैं।
प्रदेश में मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल के कारण मनरेगा में मिलने वाला रोजगार अब थम सा गया हैं। मनरेगा कर्मी लगभग मार्च के महीने से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर थे।
कर्मचारियों की हड़ताल के कारण 2021-22 का प्लान हैं,जो मार्च माह में ही बन जाना चाहिए था। एक अप्रैल से नए कार्यों के कार्यादेश होने थे, किंतु वह आज तक नही बना और मनरेगा कर्मियों की हड़ताल के कारण पुराने कार्यो भी पूर्ण नहीं हुए, जिससे श्रमिकों के पुराने पैसे भी नहीं मिल पाए।
कार्यादेश ना हो पाने कारण अभी भी भुगतान की प्रक्रिया लंबित हैंl साथ ही वर्ष 2021- 22 का प्लान भी तैयार नहीं हो पाया हैं।जिस कारण जाब कार्ड धारकों को रोजगार मिलने में भारी असुविधा हो रही हैं।
कोरोना की इस विपदा में प्रवासी बड़ी संख्या में गांव की ओर लौट रहे हैं। इस विपदा की घड़ी में प्रवासियों के समक्ष रोजगार की ज्वलंत समस्या उत्पन्न हो चुकी है। इस विपदा की घड़ी में मनरेगा ही एकमात्र रोजगार का माध्यम हैं । जिससे इन प्रवासियों को भी रोजगार दिया जा सके,जिससे इन प्रवासियों को घर पर रहकर ही रोजगार मिल जाए एवं इन प्रवासियों को रोजगार के लिए अन्य राज्य में प्रवास ना करना पड़े।