जैन धर्म के पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व के पांचवे दिन उत्तम सत्य धर्म के दिन परम पूज्य श्रमणोपाध्याय श्री 108 विकसंत सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य मे जैन भवन स्थित मंदिर जी में नित्य नियम पूजा के साथ संगीतमय दस लक्षण महामंडल विधान किया गया।
आज उत्तम सत्य धर्म पर अपने प्रवचन में श्रमणोपाध्याय 108 श्री विकसंत सागर जी मुनिराज ने कहा कि सत्य अहिंसा दया प्रेम का, बस इतना ही नाता है दीवारो पर लिखते हैं, दीवाली पर पुत जाता है। सत्य के महातीर्थ में विश्व का विश्वास ही सत्य धर्म हुआ करता है। मित्र! सूर्य की तरह तेज, अग्नि की तरह उशन पानी की तरह शीतल, नमक की तरह खारा, मिश्री की तरह मीठा अपने अपने स्वभाव में रहना ही सत्य है। परिवार सत्य नही विषय भोग सत्य नहीं सत्य तो हमारे भीतर है। सत्य को जाने बिना सत्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। सत्यको शब्द की बोतलों में कैद नही किया जा सकता सत्य असीमित मनुभव गम्मय है। सत्य की ना तो कोई परिभाषा होती हो न हो सत्य दर्शन होता हैं सत्य को प्राप्त किया जा सकता है। सत्य राम की मर्यादा है सत्य आचरण की अनुभूति आचार विचार का एक स्थम्भ है। भव्य चर्चा का नहीं चर्या का विषय है। सत्य वासना में नहीं साधना में है।
संध्याकालीन कार्यक्रमों की श्रृंखला में सभी श्रद्धालुओं द्वारा श्रीजी की आरती बड़े ही भक्ति भाव और उल्लास के साथ की गई जिसमें भारी संख्या में भक्तों ने भाग लिया सांस्कृतिक कार्यक्रम में श्री महावीर जैन कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज की छात्राओं द्वारा महासती अंजना नाटक की सुंदर प्रस्तुति दी गई / अंजना ने पूर्व भव में।22 पल के लिए प्रतिमा को छिपाया था / जिस कारण उसे 22 बरसो तक अपने पति पवंजय का वियोग सहना पड़ा अंत में अंजना ने दीक्षा लेकर संसार मुक्ति का पथ। अपनाया संचालन बबिता बहुगुणा ने किया..
इस अवसर पर उत्सव समिति के संयोजक संदीप जैन अजीत जैन अमित जैन अर्जुन जैन, *मीडिया संयोजक मधु सचिन जैन* ,(जैन समाज) श्री नरेश चंद जैन राष्ट्रीय मानवाधिकार अध्यक्ष सचिन जैन व प्रबंधक ममलेश जैन प्रधानाचार्य डा स्वेता सिंह कविता जैन अनिल जैन , नीरज जैन, अनुज जैन मोनिका जैन आदि लोगों उपस्थित रहे।