गुलदार ने किया 8 बजे हमला, विभाग ने दो बजे तक टाला
कार्बेट/कालागढ़। गुलदार द्वारा निवाला बनाये गए दैनिक श्रमिक सोहन सिंह रावत के भाई ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग ने गुलदार व अन्य जंगली जानवरों की आशंका होने के बावजूद उनके भाई और एक अन्य को बिना हथियार के ही जानबूझकर गश्त पर भेजा था। यही कारण है कि उसे अपनी जान गंवानी पड़ी।
मृतक सोहन सिंह रावत के भाई दीवान सिंह रावत ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों व कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी लापरवाही से उनके भाई को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। उन्होंने बताया कि उनके भाई को प्रात: आठ बजे गुलदार ने हमला कर मार डाला था, किंतु विभाग के नियमित कर्मचारी की घोर व अमानवीय लापरवाही के कारण दो बजे लगभग छह घंटे बाद सूचना दी गई, जिससे गुलदार गरीब मजदूर का आधा शरीर खा चुका था।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत वन प्रभाग तातापानी के क्षेत्र में गश्त कर रहे उनके भाई दैनिक श्रमिक वाचर सोहन सिंह रावत व मोहन सिंह गश्त कर रहे थे। इसी दौरान अचानक सोहन सिंह रावत पर गुलदार ने हमला कर दिया। यह देखकर मोहन सिंह उर्फ गुड्डा अपनी जान बचाकर भाग गया और तत्काल घटना की सूचना फॉरेस्ट गार्ड संदीप आर्य को दी। लेकिन जब संदीप आर्य अपने घर से निकला तो उसने मोहन सिंह को कहा कि अभी किसी को मत बताना। मैं वहां पहुंच जाऊंगा, तभी सबको बताएंगे।
उन्होंने आक्रोशित होकर कहा कि घटना लगभग ८ बजे की थी, लेकिन विभाग में २ बजे घटना के बारे में बताया गया। यह विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। वहीं फॉरेस्ट गार्ड संदीप की नौकरी बचाने के लिए भी विभाग ने ऐसी कहानी रची। उन्होंने यह भी कहा कि जंगली खूंखार जानवर बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद उनके भाई सोहन सिंह और मोहन सिंह उर्फ गुड्डा को जानबूझकर उनकी जान से खिलवाड़ करते हुए उन्हें बिना हथियार के ही गश्त के लिए भेजा जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मोहन सिंह सौभाग्यशाली रहे कि उनकी जान बच गई, लेकिन वन विभाग की गलती से उनके भाई का परिवार पूरी तरह बिखर गया है। वह कभी विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों को माफ नहीं करेंगे।