- ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी बनी नासा-इसरो मिशन ‘निसार’ का हिस्सा, उत्तराखंड से उठी अंतरिक्ष अनुसंधान की नई लहर
देहरादून। उत्तराखंड ही नहीं, देशभर में तेजी से प्रतिष्ठा हासिल कर रही ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। ग्राफिक एरा अब नासा (NASA) और इसरो (ISRO) के संयुक्त उपग्रह मिशन निसार (NISAR) का हिस्सा बन गई है, जो जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए डेटा जुटाने का वैश्विक प्रयास है।
ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के गणेशपुर स्थित फार्म में हाई प्रिसीजन कार्नर रिफ्लेक्टर की स्थापना की गई है, जो इस अंतरिक्ष मिशन से प्राप्त आंकड़ों के जियोमैट्रिक और रेडियोमैट्रिक कैलिब्रेशन में सहायक होगा। इसका सीधा लाभ यह होगा कि पृथ्वी की सतह की तस्वीरें पहले से कहीं अधिक सटीक और उच्च गुणवत्ता वाली मिलेंगी।
यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. ऋषि प्रकाश ने बताया कि निसार मिशन पृथ्वी पर हो रहे भौगोलिक परिवर्तनों की निगरानी में एक क्रांतिकारी पहल है। इससे न केवल प्राकृतिक आपदाओं की समय रहते चेतावनी दी जा सकेगी, बल्कि फसल प्रबंधन, मिट्टी की नमी, वनों की आग जैसी समस्याओं से निपटने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि यह संयुक्त मिशन मानवीय और प्राकृतिक गतिविधियों से होने वाले बदलावों पर नज़र रखने के लिए दुनिया का पहला ऐसा प्रयास है। IIT कानपुर और IIT पटना के बाद ग्राफिक एरा देश की एकमात्र निजी यूनिवर्सिटी है जिसे इस मिशन में भागीदारी का अवसर मिला है।
यह रिफ्लेक्टर ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के डॉ. ऋषि प्रकाश और डॉ. अनुराग विद्यार्थी के नेतृत्व में IIT कानपुर के नेशनल सेंटर फॉर जियोडेसी के सहयोग से स्थापित किया गया है।
यह उपलब्धि उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है, जो अब अंतरिक्ष अनुसंधान के वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से उभरता हुआ नजर आ रहा है।