उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पुलिस कॉन्स्टेबल और सब इंस्पेक्टर प्रमोशन(पदोन्नति) मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से किसी भी पहल को न्यायालय के अंतिम आदेशों के अधीन रखने को कहा है । न्यायालय ने प्रमोशन लिस्ट जारी किए जाने पर इस केस की जानकारी दर्ज करने को भी कहा है ।
उच्च न्यायालय में सतेंद्र कुमार एवं अन्य ने कांस्टेबल और सब इंस्पेक्टर सिनियोरिटी एंड प्रमोशन एक्ट 2018 के अंतर्गत राज्य सरकार को चुनौती दी । उत्तराखंड पुलिस के सिविल और इंटेलिजेंस विंग के लगभग 620 जवानों ने याचिका दायर कर न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई ।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ.कार्तिकेय हरी गुप्ता ने बताया कि, इस नियम के अनुसार केवल आर्म्ड फोर्स के जवान ही लाभान्वित हो रहे हैं । इस नियम से सिविल और इंटेलिजेंस विंग के जवान प्रमोशन के अधिकारों से वंचित हो रहे हैं । साथ ही आर्म्ड फोर्स और सिविल और इंटेलिजेंस विंग के जवानों के अधिकारों के मापदंड में भी अंतर आ रहा है ।
मुख्य न्यायाधीश रविन्द्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद कॉन्स्टेबल से हेड कांस्टेबल पद पर प्रमोशन मामले में सरकार से कोई भी कार्यवाही न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन करने को कहा है ।
खंडपीठ ने सरकार से ये भी कहा है कि, अगर कोई लिस्ट जारी की जाती है तो उसमें न्यायालय के निर्णय और इस केस का जिक्र होना जरूरी है । न्यायालय ने मामले में अंतिम सुनवाई 24 जून के लिए तय कर दी है ।