स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मसूरी में बिगड़ते पर्यावरण और नगर पालिका द्वारा संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में विफलता को लेकर दायर जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव, राज्य पर्यावरण विभाग, मसूरी नगर पालिका परिषद, मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण, उत्तराखंड जल संस्थान, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को एक नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद के लिए तय की है।
आपको बता दे कि याचिकाकर्ता ग़ाज़ियाबाद निवासी आकाश वशिष्ठ ने न्यायलय से कहा था कि मसूरी में 60% से अधिक होटल, रिसॉर्ट पी.सी.बी.से जल अधिनियम की धारा 25 के तहत अनिवार्य सहमति के बिना संचालित हो रहे हैं, जबकि देहरादून में 90% से अधिक के पास कोई सहमति नहीं थी। मसूरी में नगर पालिका ने एक भी पौधा नहीं लगाया है, यहां एक भी पार्क नहीं है, एक भी हरित पट्टी विकसित नहीं की गई है, इसके बावजूद यहां बहुत अधिक यातायात, पर्यटक आते हैं और बड़े पैमाने पर भूमि क्षरण हुआ है। याचिका में दून घाटी अधिसूचना 1989 के अनुपालन के अलावा अनुच्छेद 243W के साथ-साथ उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम की धारा 7 के तहत अपने संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में नगर पालिका परिषद की विफलता को भी उठाया गया है।