स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में आज मुस्लिम किशोरियों की नाबलीग अवस्था में शादी करने के मामले में दायर याचिक में सुनवाई के बाद न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा।
यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव सौरभ पाण्डे ने एक याचिका दायर कर कहा कि मुस्लिम नाबलीग किशोरियों की शादी को रोकने के लिए चाइल्ड मैरेज प्रोविजन एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है ।
सौरभ के अधिवक्ता सनप्रीत अजमानी ने बताया कि याचिका का उद्देश्य किसी भी नाबलीग की शादी कर उसका बचपना बर्बाद होने से बचाने का है ।
उन्होंने कहा कि ऐसा करने से किशोरी का विकास नहीं होगा और उसमें बहुत अंदरूनी समस्याएं खड़ी हो जाएंगी । इसे रोकने के लिए सरकार कोई कानून नहीं ला रही है । याचिका में हर लड़की की शादी के लिए 21 वर्ष की न्यूनतम उम्र की मांग की गई है । कहा कि ऐसे में कोई ठोस कानून नहीं होने के कारण दिल्ली और अलाहबाद उच्च न्यायालयों से अलग और पंजाब व हरयाणा उच्च न्यायालय से अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं ।
न्यायालय ने मामले को गंभीर मानते हुए केंद्र और राज्य सरकार से ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिए जवाब मांग लिया है ।