उत्तराखंडियों की जनभावना भी शिव और शक्ति के साथ । सोशल मीडिया सर्वे में भी शिव शक्ति का पलड़ा भारी।
उत्तराखंड। इस लेख को जब आप पढ़ेंगे तो आप यूकेडी की असली हकीकत से वाकिफ हो पाएंगे। वर्तमान में यूकेडी में बिखराव हो चुका है और इस बिखराव के पीछे सबसे बड़ा कारण हम आपको बताएंगे।
दरअसल कुछ दिन पूर्व ही अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने बयान दिया था कि यूकेडी विपक्षी एकता का समर्थन करेगा और अगर कांग्रेस समर्थन मांगेगी तो वो देगा।
बस यही से पार्टी में रार शुरू हो गई और होनी भी लाजमी थी क्योंकि इससे पहले भी पार्टी इसी वजह से हासिए पर गई जब दिवाकर भट्ट भाजपा की गोद में बैठ गए थे । जब जब पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अपने निजी स्वार्थों के लिए उत्तराखंड की इस क्षेत्रीय पार्टी से जुड़ी लोगो की जनभावनाओं से खिलवाड़ किया था ।
अब काशी सिंह ऐरी के इस बयान का शक्ति शैल कपरुवान और शिव प्रसाद सेमवाल ने समर्थन नहीं किया तो काशी सिंह ऐरी ने इनको पार्टी से निष्कासित कर दिया। यानि कि काशी सिंह ऐरी ने कांग्रेस को समर्थन देने के बयान पर कार्यकर्ताओं माफी मांगने की बजाय उल्टा ऐसे कार्यकर्ताओं को निष्कासित कर दिया जो उत्तराखंडियत को जिंदा रखना चाहते हैं ।
क्या यूकेडी कुछ लोगो की बपौती है जो जब चाहें जो फैसले लें और पार्टी से जुड़ी लोगो की भावनाओ को अन्य दलों के हाथो बेच दें । यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है।
वहीं सोशल मिडिया पर भी यूकेडी के बिखराव को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है जिसमे अधिकतर युवा और महिलाएं शिव और शक्ति के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं ।
जब हमने इसके पीछे की असली वजह जानने की कोशिश की तो पता चला कि अब तक अधिकांश जन समस्याओं के लिए सड़को पर उतरने से लेकर मीडिया के माध्यम से अपनी बात को प्रमुखता से रखने को लेकर यह नेता काफी प्रखर हैं ।
कुलमिलाकर आजतक यूकेडी का बंठाधार शीर्ष में बैठे नेताओं ने ही किया है जो अभी तक जारी है। वहीं अब यूकेडी के इस नए गुट को शिव और शक्ति एक नई ऊर्जा देने का काम करेंगे। इनके साथ युवा भी तेजी से जुड़ रहे हैं । इससे स्पष्ट है कि यूकेडी का ये नया गुट ही पार्टी को नई दिशा देगा।
लेखक राजनीतिक मामलों के जानकर हैं ।