मंत्री हरक सिंह रावत पर कसा शिकंजा, कर्मकार कल्याण बोर्ड का होगा स्पेशल ऑडिट
– कोटद्वार में श्रम कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यलय को बंद करने का फैसला
रिपोर्ट- अनुज नेगी
देहरादून। प्रदेश सरकार ने श्रम मंत्री डॉ हरक सिंह रावत को और एक झटका दिया है। उत्तराखंड भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से उन्हें हटाने के बाद अब बोर्ड ने मंत्री की विधानसभा कोटद्वार में श्रम कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यलय को बंद करने का फैसला लिया है और फील्ड में रखे गए 38 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। बोर्ड के इन कड़े फैसलों को श्रम मंत्री हरक सिंह रावत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। स्पेशल ऑडिट में जो भी तथ्य सामने आएंगे, हरक सिंह स्वाभाविक रूप से निशाने पर होंगे।
बोर्ड ने कोटद्वार कार्यालय को बंद करने का फैसला ले लिया है। साथ ही वित्तीय नियमों के विपरीत बोर्ड और फील्ड में रखे गए 38 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। बोर्ड के इन कड़े फैसलों को श्रम मंत्री हरक सिंह रावत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। स्पेशल अडिट में जो भी तथ्य सामने आएंगे, हरक सिंह स्वाभाविक रूप से निशाने पर होंगे। शुक्रवार को बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल की अध्यक्षता में नवगठित बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में वित्त विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए। विभाग की ओर गहरी नाराजगी जताई गई कि 2017 से बोर्ड का अडिट नहीं कराया गया।
जबकि 2017 से पहले जब बोर्ड कार्यालय हल्द्वानी में था, हर साल ऑडिट होता था। बैठक में बोर्ड का समयबद्घ स्पेशल ऑडिट कराने का फैसला हुआ। बोर्ड में वित्त विभाग का एक भी अधिकारी व कर्मचारी तैनात न होने को लेकर भी वित्त विभाग ने हैरानी जताई। बैठक में तय हुआ कि, बोर्ड में एक वित्त विभाग का अधिकारी तैनात होगा।
नवगठित बोर्ड ने 38 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने का फैसला किया। सृजित पदों के सापेक्ष रखे गए इन सभी कर्मचारियों की नियुक्ति में वित्त विभाग के नियमों का पालन नहीं हुआ। ये कर्मचारी देहरादून और कोटद्वार बोर्ड कार्यालय में फील्ड में तैनात हैं। सोमवार तक इसके आदेश जारी हो जाएंगे।
प्राइवेट कंपनी के वर्कर फेसिलिटी सेंटर भी बंद
बैठक में श्रमिकों के पंजीकरण के लिए खोले गए प्राइवेट वर्कर फेसिलिटी सेंटर बंद करने का फैसला हुआ। कहा गया कि, क्षेत्रीय कार्यालय और कमन सर्विस सेंटर(सीएससी) पहले से यह काम कर रहे हैं। पिछले बोर्ड ने भी सीएससी को ही यह काम सौंपने को कहा था। तय हुआ कि, प्राइवेट कंपनी के सेंटर बंद किए जाएं। क्षेत्रीय कार्यालय में यदि कर्मचारियों की आवश्यकता हो तो उसकी अनुमति दी जाएगी। बोर्ड में पांच प्रतिशत प्रशासनिक फंड के नाम लाखों खर्च दिए गए। लेकिन इस फंड का कोई वर्क आउट नहीं है। इसकी पड़ताल करने का फैसला किया गया कि, कितना फंड निकाला गया।
अनुमति एक तल की, दफ्तर दो तल में
बैठक में किराये के भवन में चल रहे कार्यालय को लेकर भी सवाल उठे। यह तथ्य उजागर हुआ कि, एग्रीमेंट के अनुसार, एक तल पर कार्यालय खोलने की अनुमति दी गई थी। लेकिन कार्यालय दो तलों में चल रहा है। पूरे भवन की बिजली का 50% बिल का भुगतान बोर्ड कर रहा है। एक अन्य कार्यालय भी भवन में है, उसका बिल भी बोर्ड के खाते से दर्ज हो रहा है। बैठक में यह जवाब नहीं मिला कि किसकी अनुमति दूसरे तल में दफ्तर चलाया गया। बोर्ड का दफ्तर सरकारी भवन में शिफ्ट करने का फैसला लिया गया।
श्रमिकों के पंजीकरण में पारदर्शिता नहीं, होगा सत्यापन
बोर्ड में श्रमिकों के अब तक हुए पंजीकरण का सत्यापन करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो दिन पूर्व समीक्षा बैठक में नाराजगी जाहिर की थी कि, पंजीकरण में पारदर्शिता नहीं अपनाई जा रही है। तय हुआ कि पंजीकरण केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप होंगे। बैठक में इस बारे में सदस्यों से भी सुझाव मांगे गए हैं। इस पर अगली बोर्ड बैठक में इस पर चर्चा होगी।
अगस्त में 81़26 करोड़, जमा रह गए 35 करोड़
श्रम मंत्री ने अगस्त 2020 में यह जानकारी दी थी कि कर्मकार बोर्ड के खातों में 81़26 करोड़ रुपये जमा है। लेकिन अब जानकारी सामने आई है कि बोर्ड के खाते में 35 करोड़ रुपये ही जमा है। बाकी धनराशि कहां गई है, इसे लेकर नवगठित बोर्ड भी हैरान परेशान है। फिलहाल 15 करोड़ की खरीदारी को लेकर जारी चेकों को पर रोक जारी रहेगी।
अब बड़ा सवाल है कि, एफडी जमा है पर सर्टिफिकेट कहां है? नवगठित बोर्ड के सामने एक बड़ा प्रश्न बैंकों में जमा धनराशि को लेकर भी है। सीए का कहना है कि, बैंकों को न तो ओपनिंग बैलेंस का सर्टिफिकेट दिया गया न क्लोजिंग बैलेंस का। डिपोजिट सर्टिफाई नहीं है। बैंकों में एफडी जमा है, लेकिन उसके सर्टिफिकेट कहां, किसी को नहीं मालूम। सितंबर 2020 के हिसाब से बैंकों में 35 करोड़ रुपये जमा हैं।