उत्तराखंड में अपनी ही पार्टी के विधायक पूरन फर्त्याल को कारण बताओ नोटिस भेजने वाला भाजपा संगठन अब खुद बैकफुट पर आ गया है।
आज भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में जब इस पर चर्चा हुई तो पूरन फर्त्याल ने साफ कह दिया कि उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलती है और वह आगे भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते रहेंगे।
अब भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का जुमला उछालने वाली त्रिवेंद्र सरकार के मुंह से आवाज नहीं निकल रही।
फर्त्याल ने कहा कि विधानसभा में नियम 58 के तहत सवाल उठाना विधायक का दायित्व है। अब भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि अध्यक्ष वंशीधर भगत ने नोटिस भेजने में कुछ ज्यादा ही तेजी दिखा दी थी।
इधर पूरन फर्त्याल को अन्य राजनीतिक दलों और संगठनों का भी नैतिक सपोर्ट मिल रहा है। रिपब्लिकन पार्टी के नेता गोपाल बनवासी ने भी कहा है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फर्त्याल को उनका पूरा समर्थन है।
दरअसल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत सरकार के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं और भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की किरकिरी होने पर उन्होंने सरकार को नसीहत देने के बजाय भ्रष्टाचार के मामले में सरकार की ढाल बनते हुए उल्टा पूरन फर्त्याल को ही नोटिस थमा दिया था।
अब विधायक से बात करने की जिम्मेदारी सांसद अजय भट्ट और अजय टम्टा को सौंपी गई है।
जौलजीबी टनकपुर सड़क में टेंडर मामले में एक ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाने के मुद्दे को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हो चुकी है।
किंतु पूरन फर्त्याल को नोटिस भेजकर अब डबल किरकिरी हो रही है।
बैठक में मौजूद राष्ट्रीय सह महामंत्री संगठन शिवप्रकाश सहित मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, बंशीधर भगत और पांचों सांसदों के साथ-साथ शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक, धन सिंह रावत सहित भाजपा के अन्य नेता भी शामिल थे।