सांसद औऱ मंत्रियों में बढ़ने लगी दूरियां

अनुज नेगी

उत्तराखंड में आने वाले विधानसभा चुनावों की गतविधियाएँ जोर पकड़ने लगी है,वही सरकार के मंत्रियों व केन्द्र सरकार के सांसद में दूरियां बनने लगी है।
विधानसभा कोटद्वार में सकारात्मक विकास के लिए सांसद, उत्तराखंड सरकार व विधायक का आपसी तालमेल / सहमति देखने को नहीं मिलती। मानकों के विपरीत कोटद्वार सिगड्डी भाबर क्षेत्र में समय समय पर होने वाले अवैध खनन से क्षेत्र के भयावह दोहन, संचालित खनन भंडारण, स्टोन क्रेशर जैसी विनाशकारी गतिविधियों के संचालन में डबल ईंजन सरकार का प्रभाव भी दिखाई देता है और आपसी तालमेल व सहमति भी दिखती है।
उत्तराखंड सरकार के विधायकों और सांसदों में दूरियां बढ़ने का मामला प्रकाश में आने से राज्य सरकार और केंद्र सरकार के विकास कार्यों को लेकर सांसदोंं और विधायक मंत्री अलग-अलग वाणी राज्य के विकास कार्यों की पोल खोलती नजर आ रही है।

जहां सूबे के मंत्री अपने विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त दिखाकर अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को बरगलाने का काम कर रहे हैं, वही सांसद अपने ही मंत्रियों की विकास कार्यों पर केंद्र सरकार की तिरछी नजर को भी जनता के सामने रखते नजर आने लगे हैं। जिसके चलते साफ पता लग रहा है कि राज्य के सांसदों केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों मैं सूबे के मंत्रियों तथा भाजपा संगठन के जिम्मेदार प्रतिनिधियों के बीच दूरियां साफ पता चल रहा हैं।

ऐसा ही एक मामला कोटद्वार में तब देखने को मिला जब गढ़वाल सांसदअपने एक निजी कार्यक्रम के चलते कोटद्वार पहुंचे और उन्होंने कोटद्वार में हो रहे विकास कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए। कोटद्वार में बंन रहे मेडिकल कॉलेज को लेकर सांसद तीरथ रावत के अनुसार एक जिले में दो केन्द्रीय मेडिकल कॉलेज बनना असंभव है बताकर सांसद तीरथ रावत ने कोटद्वार मे बनने वाले मेडिकल कालेज की संभावनाएं ही समाप्त कर दी।

वहीं सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने भी आनन-फानन में शनिवार को प्रेस वार्ता कर अपने विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त मीडिया के सामने रखी और मेडिकल कॉलेज के बनने में आ रही खामियों को स्वीकारा। भले ही डॉ रावत ने कहा कि उनका प्रयास है कि हर संभव कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज बनेगा। लेकिन सांसद द्वारा असंभावना को को दरकिनार नही किया जा सकता।

डॉ रावत के कार्यों में राज्य सरकार का भी सहयोग न मिलना मंत्रियों और नौकरशाही के बीच दूरियां दिखाता है। चाहे वह कोटद्वार में लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग का मामला हो, रामनगर कालागढ़ मोटर मार्ग का मामला हो कोटद्वार जिला बनने की बात हो, सभी आधे अधूरे लटके पड़े हैं। वन मंत्री द्वारा कराया जा रहे विकास कार्यों की स्थिति भी कुछ खास नजर नहीं आती। कुछ कार्य तो बगैर टेंडर के ही किए जा रहे हैं। कोल्हू चौड़ मे बन रहे पर्यटक हट के निर्माण बगैर वन विभाग की अनुमति और टेंडर के बनने का मामला हो जिसे बीच में ही वन विभाग ने रोक दिया है। क्योंकि उनकी अनुमति नहीं थी। वहीं पाखरौ में वन क्षेत्र मे बनी सड़क निर्माण भी विवादित मानी जा रही है।
बहराहाल देखना होगा कि कोटद्वार विधानसभा की जनता को मेडिकल कॉलेज मिलता है कि नही।

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