कमल जगाती, नैनीताल
नैनीताल की विश्वविख्यात नैनीझील में इन दिनों प्लास्टिक की स्वचालित मोटर बोट लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इसे रिमोट से संचालित किया जा रहा है और ये सेटेलाइट से झील की सटीक गहराई का पता लगाने में जुटी है । इसी के माध्यम से पानी की गुणवत्ता का ब्यौरा भी अधिकारियों तक पहुंचता है। ये पानी में मौजूद मैटल और अन्य पदार्थों का भी अध्ययन कर डाटा मुहैय्या कराती है ।
नैनीझील का इस तरह का ये पहला अध्यन्न है जिसके बाद झील के बारे में लिखित जानकारियां सरकारी दस्तावेजों समेत बुद्धिजीवियों के पास हो जाएगी।
बाईट :- सवीन बंसल, जिलाधिकारी ।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि उनके निमंत्रण पर इसरो के वैज्ञानिकों ने नैनीझील का बिना कोई शुल्क लिए अध्ययन किया है । सोनार सिस्टम से बनाई रिपोर्ट भविष्य में झील का स्वास्थ्य ठीक रखने में काम आएगा ।
इसरो के वैज्ञानिकों के साथ जिलाधिकारी ने भी बोट में नैनीझील में उतरकर सर्वे किया । उन्होंने बताया कि झील के सर्वे के लिए इसरो नि:शुुुल्क कार्य कर रहा है। सोनार सिस्टम के माध्यम से नैनीझील की गहराई की लगातार जी.पी.एस. मानचित्रण किया जा रहा है । इस सर्वे में वैज्ञानिकों ने झील में मौजूद विघटित ठोस अपशिष्ट, पी.एच.मान आदि का अध्ययन किया । इसके साथ ही झील के पानी की गुणवत्ता, अवसादन तथा सूचकांक का भी अध्ययन वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है जिसकी रिपोर्ट कुछ समय बाद आ सकेगी । झील की गहराई नापते हुए अबतक सबसे ज्यादा 80 फ़ीट के लगभग रिकॉर्ड किया गया । जिलाधिकारी ने
बताया की वैज्ञानिक बैथीमेट्री सर्वे कर, प्रशासन को झील के सम्बन्ध में रिपोर्ट आख्या प्रस्तुत करेंगे जिसे शासन को भेजा जाएगा ।