तीन खबर- तीन असर : दून मे उपनल की भर्ती निरस्त, जमरानी अवैध खनन पर जुर्माना, टिहरी मे स्थाई कर्मियों के ट्रांसफर।
उत्तराखंड में यह पाठ को की जागरूकता और हाल ही में सक्रिय हुई उत्तराखंड क्रांति दल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के खौफ का ही परिणाम है कि सत्तारूढ़ धन प्रचंड बहुमत में होने के बावजूद अपनी जवाबदेही समझने लगा है।
सबसे ताजा उदाहरण 18 तारीख को 10 कनिष्ठ और सहायक अभियंताओं की भर्ती का है।
उपनल से बैकडोर भर्ती कैंसल
देहरादून में 10 कर्मचारी उपनल के द्वारा 18 सितम्बर को जल संस्थान में भर्ती किए गए थे, लेकिन कल जैसे ही पर्वतजन ने यह खबर प्रकाशित की, इसे पाठकों ने हाथों हाथ लिया और इसे शेयर तथा कमेंट करके वायरल कर दिया।
इसका तत्काल संज्ञान लेकर और भविष्य में होने वाले विरोध प्रदर्शन से आशंकित सरकार ने इन भर्तियों को तत्काल कैंसिल कर दिया।
भर्ती कैंसल करने का आदेश निकालने के बाद उपनल के प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर पाहवा ने पर्वतजन को फोन पर कहा कि भर्तियां कैंसिल की जा चुकी है, कृपया इसका भी संज्ञान लिया जाए।”
हालांकि उपनल के प्रबंध निदेशक हड़बड़ी में नियुक्ति के आदेश पत्र तथा निरस्तीकरण का आदेश पत्र जारी करते समय दोनों पत्रों में एक ही पत्रांक संख्या 5165 ही डाल गए।
पत्रांक संख्या तक नहीं बदल पाए। यह हड़बड़ाहट अच्छी है। यह बताती है कि आप जनता के प्रति जवाबदेह हो रहे है।
यह जागरूक पाठकों और हाल ही में सक्रिय हुए विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया का ही परिणाम है।
इसके अलावा आपको पर्वतजन की दो और खबरों के असर के बारे में भी बता देते हैं।
जमरानी खनन मे छापा और 85 हजार जमा
पर्वतजन ने पिछले दिनों जमरानी में अवैध खनन की खबर प्रकाशित की थी।
सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल बनवासी ने पर्वतजन को इसकी जानकारी दी। पर्वतजन ने अवैध खनन में शामिल पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत को प्रमुखता से प्रकाशित किया।
खबर प्रकाशित होते ही पुलिस प्रशासन में हलचल मच गई और तत्काल गर्दन बचाने की कवायद शुरू हो गई।
पुलिस ने तत्काल अवैध खनन करने वालों को सूचना दी कि आज हम छापा मारने आने वाले हैं और फिर महज गर्दन बचाने के लिए ही सही, लेकिन खान अधिकारी ने मौके पर जाकर सड़क के किनारे स्टॉक किए गए बजरी को जप्त कर लिया तथा ₹85000 में इसकी नीलामी कर दी।
हालांकि खबर का आंशिक असर ही हुआ। लेकिन उम्मीद की जाती है कि भविष्य में अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।
टिहरी मे जमे स्थाई कर्मचारियों का ट्रांसफर
अब आपको लिए चलते हैं टिहरी की ओर।
टिहरी की मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने लगभग एक ही समय पर कुछ संविदा कर्मियों और कुछ स्थाई कर्मचारियों के ट्रांसफर किए थे।
संविदा कर्मियों ने छोटे बच्चों का हवाला देते हुए ट्रांसफर पर जाने से मना किया तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई, किंतु स्थाई कर्मचारियों ने ड्यूटी पर जाने से मना किया तो फिर इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई।
पर्वतजन ने जब इस दोहरे मानक की खबर प्रकाशित की तो अधिकारी हरकत में आए और स्थाई कर्मचारियों का भी ट्रांसफर कर दिया।
हालांकि पर्वतजन के संज्ञान में आया है कि इनमें से अभी एक ही स्थाई कर्मचारी का ट्रांसफर आदेश हुआ है। दूसरा ट्रांसफर आदेश पब्लिक डोमेन में नहीं आया।
बहरहाल आंशिक ही सही लेकिन अधिकारियों ने मीडिया के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझा है। यह उनकी पुनर्जागृत हो रही संवेदनशीलता का ही परिचायक है।
हम उत्तराखंड की आम जनता से यह अपील करते हैं कि जनहित की खबरों को अधिक से अधिक शेयर किया करें तथा अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त किया करें।
क्योंकि फर्क पड़ता है और राज्य में विपक्ष में बैठे जनप्रतिनिधियों से भी अपील करता है कि कृपया मित्र विपक्ष का लबादा उतार कर जनता के पक्ष में खड़े होकर अपने उत्तरदायित्व का पालन करें।