भारतीय संस्कृति में ओम को आदि नाद और परब्रह्म ही माना गया है। ओम मंत्र के विषय में संन्यासियों और योगियों का कहना है कि ॐ मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह मनुष्य को ब्रह्मांड की शक्तियों से जोड़कर उसे अभूतपूर्व ऊर्जा प्रदान करता है।
सूर्योदय के समय ऊँ मंत्र का जाप लाभदायक होता है।सनातन धर्म में ॐ मंत्र को सभी मंत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए सभी देवी देवताओं के मंत्र की शुरुआत या अंत में ऊँ को अनिवार्य रूप से जोड़ा जाता है। डोईवाला में आर्यन हॉस्पिटल के एमडी डॉक्टर गजेंद्र सिंह नागर ने इसके बारे में बात करते हुए ओम (ॐ ) मंत्र जप के वैज्ञानिक प्रमाण और इसके लाभ बताए। डॉक्टर गजेंद्र सिंह नागर ने कहा कि,
- ॐ में का उच्चारण करते समय तीन अक्षरों की ध्वनि निकलती है। ये तीन अक्षर क्रमशः अ+उ+म् हैं। इसमें ‘अ’ वर्ण ‘सृष्टि’ का घोतक है ‘उ’ वर्ण ‘स्थिति’ दर्शाता है जबकि ‘म्’ ‘लय’ का सूचक है। इन तीनों अक्षरों में त्रिदेव यानी (ब्रह्मा,विष्णु,महेश) का साक्षात वास माना जाता है।
- ओम का जाप आपके मस्तिष्क को सक्रिय करने में मदद कर सकता है। यह एक अंधेरे कमरे में रोशनी जलाने जैसा है
- ओम का जाप सूर्योदय से पहले करना शुभ माना जाता है। इसे सुखासन में बैठकर करना चाहिए
- हाल के दिनों में चिकित्सा अनुसंधानों ने पुष्टि की है कि ओम मंत्र जैसे मंत्र जप से रक्तचाप को कम करने में बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मंत्र जाप शांत होने और ध्यान लगाने में मदद कर सकता है, जो तनाव के स्तर को कम करने में मदद करता है।
- अध्ययन से पता चला है कि बच्चों में ओम का उच्चारण करने से ध्यान, एकाग्रता और स्मृति जैसे संज्ञानात्मक कार्यों में महत्वपूर्ण सुधार होता है
- वर्तमान अध्ययन से पता चला है कि ओम (5 मिनट) का एक संक्षिप्त जप पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र गतिविधि को बढ़ा सकता है, विश्राम को बढ़ावा दे सकता है और शांति प्रदान कर सकता है।
- एमआरआई और इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी मस्तिष्क इमेजिंग विधियों की आधुनिक तकनीक से पता चला है कि ओम जप के दौरान उत्पन्न कंपन प्रीफ्रंटल कॉर्टिस को निष्क्रिय कर देता है, जिससे पता चलता है कि Ear canal में वेगस तंत्रिका की ऑरिक्यूलर शाखा पर इसका उत्तेजक प्रभाव पड़ता है।
- ओम का जप अवसाद और मिर्गी के लिए एक अतिरिक्त उपचार हो सकता है।