पीडब्ल्यूडी के रिटायर मुखिया अयाज अहमद को पेंशन के लिए एनओसी जारी हो गई है। जबकि अयाज अहमद के खिलाफ विभागीय मंत्री सतपाल महाराज के फर्जी हस्ताक्षर के माध्यम से पीडब्यूडी चीफ बनने का मुकदमा दर्ज है और हाईकोर्ट में उनके खिलाफ अयाज अहमद बनाम उत्तराखंड सरकार का मुकदमा रिट पिटिशन संख्या 2379 लंबित है। और वह अभी अरेस्टिंग स्टे पर चल रहे हैं। इसकी अगली तिथि 21 अप्रैल निर्धारित की गई है। लेकिन इस बीच अयाज अहमद रिटायर हो गए और उनको पेंशन आदि जारी करने के लिए एनओसी भी जारी हो गई। जबकि विभागीय जानकारों के अनुसार इनकी पेंशन और ग्रेच्युटी मुकदमों की गंभीरता को देखते हुए अभी लंबित रहनी चाहिए थी।
इसके अतिरिक्त इनके खिलाफ इनके ही विभाग की महिला कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न की लिखित शिकायत विभागीय मंत्री सतपाल महाराज को की गई थी, लेकिन सतपाल महाराज द्वारा जांच कराने के आदेशों के बावजूद यह फाइल भी अभी तक ठंडे बस्ते में है।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार एक ओर उन्हें पेंशन के लिए एनओसी मिल गई है, वहीं दूसरी ओर उनको उत्तराखंड शासन में तकनीकी सलाहकार के पद पर सचिवालय में बिठाए जाने की भी तैयारियां चल रही है।
अहम सवाल यह है कि क्या लोक निर्माण विभाग में योग्य और ईमानदार अधिकारियों की कमी हो गई है !
अथवा उत्तराखंड सरकार को भ्रष्ट अधिकारियों से ही प्रेम है और इनके बिना उनका भी काम नहीं चलता।
एक ओर जहां विभागीय मंत्री उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा चुके हैं, वहीं वह धड़ल्ले से कामकाज चलाते रहे और अब उन्हें रिटायर होने के बाद भी तकनीकी सलाहकार बनाए जाने की तैयारी है।
विभाग और मंत्रालय के बीच इस तरह का विरोधाभास कहीं ना कहीं इस बात की भी गवाही दे रहा है कि सरकार, लोक निर्माण विभाग और विभागीय मंत्री के बीच ऑल इज वेल नहीं चल रहा है।