अनुज नेगी
राजाजी नेशनल पार्क के वन्यजीवों को हाथियों, बाघों, तेंदुओं, हिरणों और घोड़ों के रूप में जाना जाता है।राजाजी टाइगर पार्क एवियन प्रजातियों का घर है, जो जंगलों की तलहटी में और खुले घास के मैदान में पाए जाते हैं।
आप अगर सुदूर जनपद चमोली उत्तरकाशी में रहते हो और आपके के पास अपने भेड़ व बकरियो को चराने का संकट हो तो अब चिंता करने की जरूरत नही। आप बेख़ौफ़ हो कर राजाजी टाइगर पार्क चले आईये। पार्क की सीमा पर घास के मैदान चुनिए। डालिये तिरपाल ओर आपकी चारागाह तैयार। जम के चुगाइये अपने भेड़ व बकरियो को ,जी हां यह मजाक नही यह सोलह आने सच है। ऐसा ही नजारा आप कभी भी देख सकते है तो चले आइये राजाजी टाइगर पार्क की गोहारी रेंज में इस रेंज के घटटू घाट स्थित मराल बीट में पिछले कुछ दिनों से यह नजारा आम है। लोगो की शिकायत पर जब हम यंहा पँहुचे तो हमे बुग्यालों में चरते डंगरों की सुखद अनुभूति हुई। देख कर लगा वाह क्या नजारा है।यह पार्क क्षेत्र में 300 से 400 बकरियां चुगाई जा रही है,मगर इस क्षेत्र में तैनात वनकर्मियों व वन अधिकारियों को ये सब दिखता ही नही,वन कानून पालन यह सिर्फ स्थानीय जनता पर चलता है।
*क्या कहता है कानून*
नियमो के मुताबिक एनटीसीए द्वारा टाइगर रिजर्वो के लिए बाकायदा गाइडलाइन तय की गई है। आबादी से सटे होने के बावजूद भी आप अपने पालतू पशुओ को पार्क की सीमा के भीतर नही ले जा सकते। क्योंकि इन पालतू पशुओं से पार्क के भीतर कभी भी महामारी फैल सकती है। जो बाघो के संरक्षण में संकट पैदा कर सकती है मगर मुस्तैदी से कार्य करने का तमगा लेकर घूम रहे पार्क के वन अधिकारियों को इसकी फिकर ही नही,जब हमने गोहरी रेंज के मराल बीट के फॉरेस्ट गार्ड से पूछा तो उनका कहना था बकरियां गलती से पार्क क्षेत्र में आ गई है और हमने उन्हें पार्क पार्क क्षेत्र से बाहर कर दिया है।
” मुझे कल ही इसकी शिकायत मिली थी,हमारे बीट इंचार्ज ने मौके पर जा कर सभी बकरियों को पार्क क्षेत्र से बाहर कर दी है,ओर उनको सख्त निर्देशक दे दिए है,कि भविष्य में पार्क क्षेत्र में पालतू पशुओं को चुगने नही दिया जाएगा। “
*ललित प्रसाद टम्टा -वन्यजीव प्रतिपालक राजाजी टाइगर पार्क*