विद्युत नियामक आयोग द्वारा कुछ पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया है। इस विज्ञापन को देख कर लगा जैसे उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार मिलेगा। लेकिन जब इन पदों के लिए शैक्षिक योग्यता देखी गयी तो ऐसा लगा जैसे ये पद किसी व्यक्ति विशेष के लिए हैं।
योग्यता ऐसी, उत्तराखंड में ना मिले जैसी !!
एक पद के लिए जो योग्यता रखी गयी है, उस विषय को मान्यता वर्ष 2016 में दी गयी है, जबकि उत्त्तराखण्ड में इस विषय को केवल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2017 में शुरू किया गया। जबकि ग्राफिक एरा में इस वर्ष से शुरू किया है। इससे साफ लगता है कि वे पद किसी चहेते के लिए निकाले गए हैं।
चेयरमैन के बिना जल्दी किस बात की !
यह भी सोचने वाली बात है कि वर्तमान में आयोग में कोई चैयरमैन नही है। केवल दो सदस्य हैं, बिना चेयरमैन के भर्ती प्रक्रिया करना सवालों को खड़ा करता है।
इससे पहले जब सुभाष कुमार आयोग के चैयरमैन थे तो उनके समय मे निकाली गई भर्ती को भी विवादों के कारण निरस्त किया गया था।
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