आये दिन बंद रहता है बाल विकास कार्यालय रिखणीखाल। लोगों को जाना पड़ता है बैरंग
रिपोर्ट- प्रभुपाल सिंह रावत
पौड़ी। प्रखंड रिखणीखाल के बाल विकास कार्यालय कर्मियों की नदारदगी कुछ यही बयां करती है। विगत तीन सप्ताह से लगातारबंद बाल विकास विभाग का मुख्यालय बयेला तल्ला मेन रोड पर स्थित होने के बावजूद कर्मचारियों की गैरमौजूदगी से लोगों का मुंह चिढ़ा रही है। जिस कारण लोगों को किसी भी लाभ से वंचित होना पड़ रहा है, अंत में गौरा देवी कन्या धन योजना हो या विभाग से मिलने वाली किसी प्रकार की लाभकारी योजना लोगों को इसके लाभों से दूर ही रखा जाता है। यहां तक कि प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण भी नहीं किया जाता। महीनों तक कार्यालय कर्मियों की बदौलत कागजात कार्यालय के नीचे स्थित दुकान में पड़े रहने के बावजूद योजनावधि के समाप्त होने पर लाभ से वंचित लोगों की परेशानी की नियति बन गयी है।
इस पर लोगों द्वारा वहां से गुजर रहे सामाजिक कार्यकर्ता दीनबंधु बलोदी,ज्येष्ठ प्रमुख चंद्रभूषण नौगाईं व प्रधान बयेला मल्ला प्रमोद रावत को बताई तब उनके द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी पौड़ी से फोन पर बात हुई जिसके बाद स्पष्टीकरण मांगा गया है। प्रत्यक्षदर्शी बयेला तल्ला सतेश्वरी देवी ,क्षेत्र पंचायत कर्तिया बिनीता ध्यानी,विकास सिंह का कहना है कि कई बार दूर दराज बीहड़ क्षेत्रों से चक्कर मारने पर लोगों को यहां से बिना काम या जानकारी के वापसी करनी पड़ती है। उनका कहना है कि शीघ्र ही ऐसे गैर जिम्मेदार कर्मियों को स्थानांतरित कर दिया जाय।
गौरतलब है कि, प्रखंड की बाल विकास परियोजना पूर्व से ही विवादित रही है और टीएच आर ,केंद्रों की मनमानी तथा कार्यालय की लापरवाही के कारण लोगों का बेरुख होना मजबूरी बन गई है। जहां चार कर्मचारी नियुक्त हैं। इनमें से एक सुपरवाइजर,एक लिपिक एक चतुर्थ श्रेणी तथा एक अन्य है, जिसकी अपनी ऊंची पहुंच के चलते स्वयं को पौड़ी अटैच किया गया है। जब ग्राम नावेतली सिलगांव आदि के ऑगनबाडी कार्यकत्रियो से फोन पर बातचीत की तो रिखणीखाल मे स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय के बाबू की कुछ शिकायतें मालूम पडी।जो कि निम्न है:-
● बाबू का बातचीत का व्यवहार कुशल नही है अभद्र भाषा का प्रयोग करते है।
● जब वे लोग अपने मानदेय के बारे मे पूछते है कि मानदेय कब तक का आया तो उल्टा पुलटा जवाब देते है।
● एक साल से उन्हे पता ही नही कि मानदेय किस महीने का आया किस महीने का नही आया।।
● टी ए डी ए तो मिलता ही नही है।
● ऑगनबाडी वालों को डराता है।कोई आगे नही बोलता है सब डरते है।
● रिखणीखाल मे तो रहता भी नही है दफ्तर बन्द ही मिलता है।
● ये लोग 30-40 किलोमीटर से जाते है तो बन्द मिलता है।
इनका पूरा दिन व समय व धन की बर्बादी होती है। इन्होने अपना नाम न बताने की शर्त रखी है। ये बहुत भयभीत है।अब शासन प्रशासन को इन बिन्दु पर ध्यान देना चाहिए।क्योकि जीरो टालरेन्स की सरकार राज्य मे सत्तासीन है।फिर 2022 भी नजदीक है।