नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला पंचायत अध्यक्ष बागेश्वर बसंती देवी की याचिका को खारिज करते हुए सरकार को उनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की छूट दी है। हाईकोर्ट उनकी गलत याचिका के लिए जुर्माना भी लगा रही थी, किंतु याचिकाकर्ता के अनुरोध पर जुर्माना नहीं लगाया गया।
मामले के अनुसार बागेश्वर की जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनके ए श्रेणी के सरकारी ठेकेदारी का रजिस्ट्रेशन लोक निर्माण विभाग द्वारा 15 मई 2020 को रद्द करने के आदेश को चुनौती दी थी। लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता देहरादून ने बसंती देवी का ठेकेदारी रजिस्ट्रेशन उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम 2016 के अनुसार रद्द किया था। इस अधिनियम में जिला पंचायत अध्यक्ष को लोक सेवक की श्रेणी में माना है, जो सरकारी ठेके नहीं ले सकता।
इस मामले की सुनवाई में न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की एकलपीठ ने माना कि याचिकाकर्ता को जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद सरकारी ठेकेदार का रजिस्ट्रेशन रद्द किये जाने हेतु विभाग में आवेदन देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और यदि जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने सरकारी कामों में ठेकेदारी जारी रखी है तो शासन उनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही को स्वतंत्र है। कोर्ट ने उनकी याचिका जुर्माने के साथ खारिज की, लेकिन याचिकाकर्ता के अनुरोध पर कोर्ट ने जुर्माना नहीं लगाया।