उत्तरकाशी (सौड़-सांकरी)। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर उत्तराखंड के सुदूरवर्ती गांव सौड़-सांकरी में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की गई। ‘पर्यावरण जन जागृति अभियान’ के अंतर्गत ग्रामीणों, छात्रों, शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों के सहयोग से एक भव्य वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका पहला चरण 3000 पौधों के रोपण के साथ संपन्न हुआ। कुल 10,000 पौधे रोपने का लक्ष्य तय किया गया है।
🌿 अभियान की सूत्रधार बने शिक्षक सुमन रावत
इस अभियान की प्रेरणा स्रोत रहे गांव के सहायक अध्यापक सुमन रावत, जिन्होंने ग्रामीणों, युवाओं, बच्चों और शिक्षकों को एक मंच पर लाकर इस कार्य को जन आंदोलन का रूप दिया। उनके नेतृत्व और समर्पण से यह छोटी सी पहल अब एक बड़ा हरित अभियान बनती जा रही है।
🌱 हरित चेतना का संकल्प: गांववासियों ने लिया सक्रिय भाग
GMVN परिसर सांकरी में आयोजित इस कार्यक्रम में हिमाचल से आए जैविक खेती विशेषज्ञों, स्थानीय शिक्षकों, छात्रों, पर्यावरणविदों और वन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। सभी ने पौधारोपण कर पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश दिया।
🌍 अभियान के मुख्य उद्देश्य
- ग्रामीण स्तर पर पर्यावरणीय चेतना का विकास
- प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण की जिम्मेदारी से जोड़ना
- सांकरी में 6,000 और हर्षिल रेंज में 4,000 पौधे लगाने का लक्ष्य
- जलस्रोतों के संरक्षण और वनों की कटाई रोकने पर संवाद
🌳 “अब पेड़ों की रक्षा सरकार नहीं, समाज की जिम्मेदारी” – मनोज ध्यानी
वृथा बंधन अभियान के प्रणेता भक्तानुरागी मुकुंद कृष्ण दास जी (मनोज ध्यानी) ने कार्यक्रम में कहा—
“अब समय आ गया है कि हम पर्यावरण सुरक्षा को केवल चर्चा का विषय नहीं, जीवन का हिस्सा बनाएं। जंगलों को बचाना अब केवल सरकार का कार्य नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।”
बच्चों और बुजुर्गों ने मिलकर वृक्षारोपण के साथ-साथ पोस्टर मेकिंग, स्लोगन राइटिंग और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
🌾 जैविक खेती से मिट्टी और संस्कृति की रक्षा
हिमाचल प्रदेश से आए नेचुरल फार्मिंग एक्सपर्ट्स ने बताया कि जैविक खेती और वृक्ष संरक्षण से पर्वतीय मिट्टी को सुरक्षित रखा जा सकता है। यह अभियान एक दिन का नहीं बल्कि प्रकृति के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता है।
🏞️ गांवों में बनाए जाएंगे ‘एनवायरनमेंट क्लब’
- 15 गांवों में स्थापित किए जाएंगे पर्यावरण क्लब
- सांकरी, मोरी और बड़कोट क्षेत्रों में किया जाएगा सामुदायिक वृक्षारोपण
- 3000+ छात्र-छात्राओं को पर्यावरणीय कोचिंग, क्विज, लेखन और नाटक से जोड़ा जाएगा
- “हर घर एक पेड़” के संकल्प को मिलेगा जन समर्थन
🤝 सहयोगी संस्थाएं रहीं शामिल
इस अभियान में वन विभाग, पर्यटन विभाग, शिक्षा विभाग, स्थानीय पंचायतें, हिमाचल के जैविक खेती विशेषज्ञ, विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाएं और वृथा बंधन अभियान के प्रतिनिधि शामिल रहे। कार्यक्रम के समापन पर ग्रामीणों और विद्यार्थियों ने अभियान के प्रेरक शिक्षक सुमन रावत को विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया।
‘पर्यावरण जन जागृति अभियान’ ने दिखा दिया कि यदि संकल्प मजबूत हो तो ग्रामीण स्तर पर भी बड़े बदलाव संभव हैं। यह अभियान केवल पौधारोपण नहीं, बल्कि प्रकृति से रिश्ते की पुनर्स्थापना का प्रयास है। आने वाले समय में यह मॉडल उत्तराखंड के अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।