किताबें और यूनिफार्म बेची तो होगी कड़ी कार्रवाई
खरीददारी खत्म होने के बाद शिक्षा मंत्री पांडे की फटकार स्कूलों में किताबों और यूनिफार्म की बिक्री समाप्त होने के 2 महीने बीत जाने के बाद उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने फरमान जारी किया है कि, शिक्षा का बाजारीकरण नहीं होने दिया जाएगा और यदि कहीं से भी विद्यालयों द्वारा किताबों और यूनिफार्म को बेचे जाने की शिकायत मिलेगी तो अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
गौरतलब है कि, लगभग सभी प्राइवेट स्कूल अपने आप ही ड्रेस और किताबें बेच रहे हैं। एक अभिभावक दिलीप सिंह रावत का कहना है कि, देहरादून के गली मोहल्लों में आवासीय भवनों पर चल रहे विद्यालय वाले भी किताबें बेच रहे हैं और कुछ बोलो तो झगड़े पर उतारू हो जाते हैं तथा अभिभावक बच्चों के उत्पीड़न के डर से चुप हो जाते हैं।
अहम सवाल यह है कि, मार्च माह में ही विद्यालयों ने अभिभावकों से किताबें खरीदवाली थी। अब 2 माह बाद शिक्षा मंत्री के इस फरमान पर अभिभावक अलग-अलग तरह की टिप्पणियां जाहिर कर रहे हैं।
अभिभावकों को इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि लॉकडाउन के दौरान फीस लिए जाने के मामले में भी सरकार ने उनको प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर विद्यालयों के ही रहमों करम पर छोड़ दिया था और स्कूलों ने विभिन्न तरह के मानसिक दबाव डालकर अभिभावकों से फीस हासिल कर ही ली। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने यह भी कहा कि, निजी और सरकारी विद्यालयों में एनसीईआरटी का सिलेबस अनिवार्य रूप से लागू किया जा चुका है तथा जहां पर ऑनलाइन क्लासेस नेटवर्क के कारण नहीं चल पा रही है वहां पर फीस नहीं ली जाएगी।
लेकिन ऑनलाइन क्लासेस की हकीकत अभिभावक भली-भांति जानते हैं और इसके माध्यम से पढ़ाई होने की बात एक तरह से दिखावा ही है और फीस लेने का बहाना मात्र बनकर रह गया है। सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें खरीदे जाने का फरमान की एक तरह से निष्प्रभावी ही है पिछले सालों से विद्यालय मनमर्जी से अलग-अलग प्रकाशकों की किताबें ठोक रहे हैं फीस एक्ट की बात भी पिछले कई सालों से केवल जुमलो तक ही तथा अखबारी बयानबाजी तक ही सीमित है।
गौरतलब है कि, मार्च 2017 से अब तक 4 शिक्षा सत्र शुरू हो चुके हैं लेकिन शिक्षा में सुधार और अभिभावकों के उत्पीड़न को रोके जाने की बात पर जरा भी अमल नहीं हुआ है। लॉकडाउन के दौरान जब सरकार ने अभिभावकों की कोई मदद नहीं की तो फिर अभिभावक संगठन तथा भाजपा की ही कार्यकर्ता कुंवर जपेंद्र सिंह को हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ गया था। स्कूलों के द्वारा मचाई जा रही इस लूट के खिलाफ बोलने पर उन्हें भारतीय जनता पार्टी संगठन की ओर से बाकायदा नोटिस जारी कर दिया गया, जिससे भाजपा की काफी आलोचना भी हुई थी कि भाजपा प्राइवेट स्कूल वालों की लूट के साथ खड़ी है।
एक तो अभिभावक पहले ही स्कूलों के द्वारा हो रहे उत्पीड़न के शिकार हैं, ऊपर से शिक्षा मंत्री के प्रभावहीन चेतावनियों के कारण अभिभावक और भी अधिक प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। अभिभावकों को लगता है कि उन्हें शिक्षा माफिया के हवाले छोड़ दिया गया है और सरकार तथा शिक्षा विभाग उनकी कोई मदद नहीं कर रहा है।