उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में कुलपति द्वारा नाबालिग बच्चों से परीक्षा कॉपियों की कोडिंग का गोपनीय कार्य कराए जाने की खबर पर्वतजन ने प्रकाशित की तो बाल संरक्षण आयोग सहित बचपन बचाओ आंदोलन तथा श्रम विभाग ने इसका संज्ञान ले लिया है। इधर तकनीकी विश्वविद्यालय सबूतों को खुर्दबुर्द करने में जुट गया है।
बाल संरक्षण आयोग ने जहां उन्हें नाबालिग बच्चों से काम लिए जाने का कारण पूछा है, वहीं श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने भी जांच कराने की बात कही है।लेबर विभाग तथा बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता सुबह से ही तकनीकी विश्वविद्यालय में डटे हुए हैं।
इधर उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारी कर्मचारी सुबह से ही मामले को रफा-दफा करने की फिराक में मैराथन बैठकों का दौर जारी रखे हुए हैं।
पर्वतजन के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड विश्वविद्यालय के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज नष्ट कराए जाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि नाबालिग बच्चे कौन थे और कितनी उम्र के थे, इसके सबूत न मिल सकें। विश्वविद्यालय प्रशासन अपने बचाव में यह तैयारी कर रहा है कि किसी तरह से यह साबित हो जाए कि नाबालिग बच्चे आए तो थे लेकिन उनकी उम्र देखकर उन्हें वापस भेज दिया गया था।
किंतु यदि नाबालिग बच्चों को कैंपस में लाने वाले ठेकेदार तथा नाबालिग बच्चों से सख्ती से पूछताछ की जाए अथवा उनका पॉलीग्राफ टेस्ट लिया जाए तो यह बात साफ हो जाएगी कि विश्वविद्यालय प्रशासन नाबालिग बच्चों से काम ले रहा था।
किंतु विश्वविद्यालय के अधिकारियों की उच्च स्तर पर पहुंच होने के कारण लगता नहीं कि पुलिस इमानदारी से इसमें जांच करेगी।
ऐसे में यह भी हो सकता है कि यह कहकर इस मामले को रफा-दफा कर दिया जाए कि सीसीटीवी फुटेज में कोई सबूत नहीं मिले और कुछ बच्चे विश्वविद्यालय में आए जरूर थे लेकिन उनकी उम्र देखकर उनसे काम नहीं लिया गया और उन्हें वापस भेज दिया गया था।