स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में कोरोना महामारी के प्रभाव को रोकने के लिए डॉक्टरों और नर्सों की भर्ती करने के साथ ही कुल नौ बिंदुओं पर अमल करने के लिए सुझाव दिए हैं ।
उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओ की सुनवाई आज वीडियो कॉंफ्रेंसनिंग के माध्यम से की गई।
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने पूर्व के आदेश के क्रम में अपना शपथ पत्र पेश किया । इससे असंतुष्ट न्यायालय ने 20 मई तक दोबारा से शपथ पत्र पेश करने को कहा।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई। न्यायालय ने अपनी टीप्पणी में कहा कि, पिछले डेढ़ वर्ष से संसाधनों के अभाव में डॉक्टरों, नर्सों, सफाई कर्मचारियों और दूसरे मैडिकल स्टाफ ने सराहनीय कार्य किया है। खण्डपीठ ने राज्य सरकार को निम्नलिखित बिंदुओं पर निर्देश दिए है :-
(1)सरकार टैस्टिंग लैबों की संख्या बढ़ाए और पर्वतीय क्षेत्रों में टैस्ट कराने के लिए मोबाइल सेवा उपलब्ध कराए और अतिशीघ्र आई.सी.एम.आर.से अनुमति ले।
(2)जो कॉलेज बन्द हैं उनको शीघ्र कोविड सेंटर बनाने पर विचार किया जाए ।
(3) )हरिद्वार, हल्द्वानी और देहरादून में आई.सी.यू.बेडो की संख्या बड़ाई जाए और रामनगर जैसे छोटे शहरों में हैल्थ सेंटर युद्धस्तर पर खोलें जाए।
(4)ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सीधे विदेश से मंगाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति ली जाए।
(5)सी.टी.स्कैन देहरादून, हरिद्वार व पौड़ी में दस दिन के भीतर स्थापित करें।
(6)जिन दवाओं की कालाबाजारी हो रही है और जो प्राइवेट हॉस्पिटल अधिक चार्ज कर रहे हैं, नोडल अधिकारी आई.जी.अमित सिन्हा उन पर कार्यवाही कर 20 मई तक अपनी पेश करें।
(7)कोविड वैक्सिनेशन सेंटर अधिकतर हॉस्पिटलों में बनाये गए है, उनको वहां से हटाकर अन्य जगहों पर स्थापित करें, जिससे लोग भीड़ देखकर डरें नही।
(8)भवाली टी.बी.सैनेटोरियम को भी कोविड हॉस्पिटल बनाने पर विचार करें।
(9)खण्डपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि, महामारी को देखते हुए सरकार डॉक्टरों और नर्सो की भर्ती शीघ्र करे, चाहे उन्हें कितना भी वेतन क्यों न देना पड़े।
मामले के अनुसार, अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारंटाइन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर उच्च न्यायालय में अलग अलग जनहित याचिका दायर की थी।
पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि, उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
इसका संज्ञान लेकर न्यायालय ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटी गठित करने के आदेश दिए और कमेटियों से सुझाव मांगे थे। मामले की अगली सुनवाई 20 मई के लिए तय की गई है ।