शासन द्वारा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़ एवं राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बागेश्वर को सोबन सिंह जीना विश्विद्यालय, अल्मोड़ा का कैंपस बनाया गया।
शासन द्वारा कैम्पस में समायोजन हेतु राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत कार्मिकों से विकल्प मांगे गए, जिन कार्मिकों द्वारा विश्विद्यालय में समायोजन हेतु विकल्प चुना गया उनके समायोजन हेतु विश्विद्यालय एवं निदेशालय के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित हुआ ।
जिसके अनुसार स्क्रीनिंग कमिटी के गठन हुआ व विश्वविद्यालय एवं निदेशालय द्वारा संयुक्त रूप से साक्षात्कार का आयोजन किया गया,जिसमें शासन की अनुमति के बाद 74 सहायक/सह/प्राध्यापकों व 24 शिक्षणेत्तर कार्मिकों का विश्विद्यालय में समायोजन हेतु चयन किया गया व विश्विद्यालय द्वारा समायोजन/ नियुक्ति पत्र चयनित प्रत्येक कार्मिक को उनकी नियुक्ति स्थल में प्रेषित किया गया।
विश्विद्यालय में समायोजित कार्मिकों में से प्राध्यापक वर्ग में 49 कार्मिकों एवं शिक्षणेत्तर कार्मिकों में 14 कार्मिकों द्वारा कार्यभार ग्रहण किया गया।
कम कार्मिकों द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के कारण विश्विद्यालय के कुलसचिव द्वारा दिनांक 26 मई,2023 को अपर सचिव उच्च शिक्षा को पत्र प्रेषित कर क्षतिज आरक्षण के 21 एवं EWS के 30 ऐसे पदों पर जिसमें सीधी भर्ती के द्वारा शिक्षकों के पदों को भरा जा सकता है उनमें स्क्रीनिंग कम साक्षात्कार में सम्मिलित ऐसे अभ्यर्थियों को जिनको विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में रिजेक्ट कर दिया गया है,समायोजित करने हेतु दिशानिर्देश चाहे गए हैं।
यदि शासन द्वारा इन पदों पर सामान्य अभ्यर्थियों को समायोजित किया जाएगा तो यह असंवैधानिक कार्य होगा जिसकी अनुमति हमारा संविधान नहीं देता है।
पत्र जारी करने के पीछे विश्विद्यालय की मंशा यह है कि अपने लोगों को रख लिया जाय। यदि शासन द्वारा अनुमति दी जाती है तो यह प्रदेश के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ – साथ प्रदेश के गरीब एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के प्रति अन्याय होगा।
यदि आरक्षित एवं प्रदेश के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के न्यूनतम योग्यता धारी अभ्यर्थियों के खिलाफ शासन एवं विश्वविद्यालय द्वारा अन्याय किया जाएगा तो ऐसी स्थिति में वह न्यायालय की शरण मे जाने के लिए मजबूर होंगे।