जगदम्बा कोठारी
ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) अब अखिल भारतीय भ्रष्टाचार संस्थान बन गया है। अपनी स्थापना से लेकर आज तक एम्स विवादों में ही रहा है। कम समय में ही यहां पर बड़े-बड़े घोटाले सामने आते रहे हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही भ्रष्टाचार का एक बड़ा चौंकाने वाला मामला यहां से सामने आया है। सोशल मीडिया पर एम्स के दो अधिकारियों और एक ठेकेदार के बीच बातचीत के दो अलग-अलग ऑडियो क्लिपिंग वायरल हो रही हैं।
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जिसमें एम्स के 2 बड़े अधिकारी संस्थान में पेंटिंग प्लास्टर एवं सैनिटाइजर और संस्थान के लिए सामान खरीद-फरोख्त के काम दिलवाने के लिए 25 परसेंट और 15 परसेंट रिश्वत मांगने से लेकर संस्थान में लाखों की हेरफेर करने की रणनीति बनाते सुने जा रहे हैं।
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एम्स अधिकारियों के इन ऑडियो क्लिपिंग में एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। इसमें पहला ऑडियो 14 मिनट 46 सेकंड का है। वायरल ऑडियो में एम्स के अधिकारी एनपी सिंह का बताया जा रहा है।
एनपी सिंह संस्थान में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद पर तैनात थे एवं संस्थान के निदेशक डॉ रविकांत के बहनोई बताए जा रहे हैं।
वायरल ऑडियो में साफ सुना जा रहा है कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एनपी सिंह एक ठेकेदार से एम्स परिसर में रंग रोगन और पुताई आदि काम करने का टेंडर दिलवाने की एवज में 15% अपना कमीशन फिक्स कर रहा है और लाखों का टेंडर दिलवाने के बदले अपने 15% कमीशन लेने की मांग करता सुनाई दे रहा है। साथ ही ठेकेदार डील होने से पहले होने से कुछ एडवांस देने के लिए भी पूछ रहा है।
इस पर अधिकारी कहता है कि एडवांस कुछ नहीं बाद में 15 परसेंट दे देना। भ्रष्टाचार का यह खेल निर्माणाधीन एम्स परिसर जम्मू कश्मीर तक पहुंचाने की साजिश चल रही है। ठेकेदार एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एनपी सिंह से जम्मू कश्मीर में निर्माणाधीन एम्स में भी काम दिलवाने की सिफारिश कर रहा है।
जिस पर अधिकारी कहता है कि जम्मू कश्मीर एम्स में तो अभी भूमि पूजन ही हुआ है। भ्रष्टाचार का यह खुलासा यहीं समाप्त नहीं होता है। दूसरे वायरल ऑडियो में और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
दूसरे ऑडियो में बातचीत करता यह अधिकारी अनुराग सिंह बताया जा रहा है। जो कि इलेक्ट्रॉनिक विभाग में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के पद पर तैनात था। ऑडियो में 11 मिनट 50 सेकंड से पहले तो एम्स परिसर में ठेकेदार और एक अधिकारी के बीच पेंटिंग एवं अन्य काम करने को लेकर साधारण चर्चा हो रही है। लेकिन 11 मिनट 50 सेकंड के बाद एम्स के इलेक्ट्रॉनिक विभाग का यह अधिकारी यूवी ब्लास्टर किट खरीद के मामले में कह रहा है कि यहां 20- 25 प्रतिशत (घूस के) से कम में काम नहीं चलता। यहां का रेट कितना ही है।
ठेकेदार अपना कमीशन काटकर उनका मुनाफा अलग दे दे। जिसमें ठेकेदार कहता है कि उसे इस डील में केवल 8-10 फीसदी ही मुनाफा चाहिए। यहां बता दें कि ‘यूवी ब्लास्टर’ मशीन का काम संस्थान में लगे सभी कैमरों को सैनिटाइज कर उनमें मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करना होता है।
इधर एम्स का यह अधिकारी इस मशीन की खरीद में 25 प्रतिशत कमीशन की मांग करता सुनाई पड़ रहा है। एम्स में इलेक्ट्रॉनिक विभाग का यह अधिकारी ठेकेदार को आश्वस्त करते हुए कहता है कि यहां जितने भी पेमेंट हुई है सभी का डीडीओ है। मतलब साफ है कि संस्थान में आज तक जितने भी भुगतान हुए हैं सभी मे 25% कमीशन लेकर सरकार को लाखों करोड़ों रुपए का चूना भारत सरकार को लगाया गया है।
साथ ही ऑडियो में बातचीत से पता चलता है कि एक और नयीं यूवी ब्लास्टर किट एम्स निदेशक कार्यालय के लिए भी खरीदने की प्लानिंग चल रही है। मामला यहीं नहीं रुकता।
ऑडियो क्लिपिंग को सुनने के बाद एक और चौंकाने वाला खुलासा होता है कि 1लाख के कीमत वाले सामान की कागजों में हेराफेरी कर 5 लाख में खरीदने की तैयारी चल रही है। जिसमें एम्स का अधिकारी ठेकेदार को कह रहा है कि इस 1 लाख रुपए कीमत के सामान के लिए तुम हैदराबाद से 5 लाख का टेंडर भरना।
मैं यहां से बिल पास करवा दूंगा जिसकी एवज में मेरा 25% कमीशन लगेगा।
अपनी स्थापना से ही एम्स में आए दिन भ्रष्टाचार के नए नए मामले सामने आते रहते हैं। यह ऑडियो क्लिपिंग पिछले माह जन्माष्टमी के समय का है। उस समय इस ऑडियो क्लिपिंग के जारी होने के बाद एम्स प्रशासन ने आउटसोर्सिंग पर लगे इन दोनों अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाकर मामले को यहीं दबा दिया था।
लेकिन अब एक माह बाद इस ऑडियो के दोबारा वायरल होने से एम्स प्रशासन समेत प्रदेश भर में हड़कंप मचना जायज है।
ऑडियो के वायरल होने के बाद एम्स में खुलासा हुआ है कि टेंडर प्रक्रिया एवं खरीद-फरोख्त में हेराफेरी कर लाखों करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। हालांकि मामला अब केंद्र तक पहुंच चुका है। पिछले वर्ष भी पर्वतजन ने एम्स में हुई भर्तियों की नियुक्तियों में खुलासा किया था कि किस तरह एम्स परिसर में नियुक्तियां भाई भतीजावाद तक ही सीमित रह गई है।
स्थानीय योग्य एवं बेरोजगार युवाओं को दरकिनार कर असंवैधानिक तरीके से बाहर वालों एवं अयोग्य लोगों को एम्स में नियुक्ति प्रदान की गई। वहीं इस प्रकरण पर एम्स प्रशासन ने सफाई दी है।
क्या कहता है एम्स प्रशासन
संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया मामले की जांच के लिए उच्चाधिकारियों की जांच कमेटी बना दी गई है। वायरल ऑडियो मे बातचीत करते दोनों अधिकारियों को वापस भेज दिया गया है एवं नई नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी गई है।और एम्स प्रशासन ने यूवी किट जैसा कोई सामान खरीदा ही नहीं है। आगे इस बात की भी जांच
चल रही है कि वायरल ऑडियो में जो ठेकेदार बातचीत कर रहा है उसने कभी संस्थान में कोई काम किया भी है या नहीं। हमारे यहां रंग रोगन का काम हमारा ही स्टाफ करता है ना कि बाहर से कोई ठेकेदार। 15 परसेंट 25% कमीशन लेने का आरोप कहां तक सही है इस बात का पता जांच पूरी होने के बाद ही चल पाएगा।