कुछ समय से पर्वतजन अपने संस्थान के खिलाफ साजिश करने वाले अफसरों की पड़ताल में लगा है। पर्वतजन को षडयंत्र में शामिल मुख्यमंत्री की किचन कैबिनेट के ऐसे ऐसे चेहरों का पता चला है कि आने वाले समय में जब यह लोग बेनकाब होंगे तो जानने वाले भी दंग रह जाएंगे।
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पाठकों को याद होगा कि एक दिसंबर को मुख्यमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ निजी सचिव हेमचंद्र भट्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखकर कहा था कि पर्वतजन के खिलाफ दुर्भाग्यपूर्ण साजिश में मुख्यमंत्री कार्यालय के कुछ लोगों के शामिल होने की सूचना मिली है और आदेश दिया था कि इनकी जांच की जाए।
किंतु आज 6 महीने होने के बावजूद इस आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
लीक वट्सैप स्क्रीन शाट
आज तक यह साफ नहीं हुआ है कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रेषित कराए गए इस पत्र के आधार पर किस को जांच अधिकारी बनाया गया और उसने मुख्यमंत्री कार्यालय के किस-किस सचिव, अपर सचिव, ओएसडी, सलाहकार, अथवा अन्य व्यक्ति के बयान दर्ज किए हैं ! अथवा क्या जांच की है !
सीएम कार्यालय के षडयंत्र की जांच के जारी छह माह पुराना पत्र। न जांच अधिकारी का पता, न जांच का पता
छह महीने बाद भी इस पत्र पर कोई कार्यवाही ना होने के कारण बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह पत्र सिर्फ गिरफ्तारी के विरोध में उत्तराखंड में तेज हो रहे आंदोलन को शांत करने के लिए जारी कराया गया था !
बहरहाल पुलिस भले ही जो भी जांच करे लेकिन इन अफसरों के खिलाफ काफी सबूत पर्वतजन के हाथ लगे हैं और कुछ आने बाकी हैं। आने वाले समय में हम न सिर्फ इन चेहरों को आपके सामने बेनकाब करेंगे बल्कि इन्हें इनकी करतूतों की उचित सजा भी दिलाएंगे।
वट्सैप चैट का उद्देश्य क्या ! क्यों देखना चाहते आईसीयू मे
बहरहाल आज आपको इसी कड़ी में मुख्यमंत्री के एक अपर सचिव मेहरबान सिंह बिष्ट की हलकी झलक दिखा रहे हैं।
मुख्यमंत्री के अपर सचिव मेहरबान सिंह बिष्ट द्वारा की गयी पर्वतजन के खिलाफ एक व्हाट्सएप चैट का स्क्रीनशॉट हमारे हाथ लगा है, जिसमें मेहरबान सिंह बिष्ट उस व्हाट्सएप ग्रुप में चर्चा कर रहे हैं कि पर्वतजन “आज चुप क्यों है।”
इसमें दूसरे अफसर कह रहे हैं कि इसकी बत्ती गुल है। तो उसमे तीसरा मजे लेते हुए कह रहे हैं कि आईसीयू में है।
व्हाट्सएप ग्रुप के स्क्रीनशॉट से अंदाज होता है कि अफसर पर्वतजन के खिलाफ किसी साजिश को सफल होने के बाद, उसके प्रभाव पर चटकारे ले रहे हैं।
कौन है मेहरबान बिष्ट
मेहरबान सिंह मुख्यमंत्री के काफी करीबी हैं। मुख्यमंत्री के अपर सचिव हैं। सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक हैं और खनन विभाग के भी निदेशक हैं। मुख्यमंत्री के कार्यालय में ही फोर्थ फ्लोर पर बैठते हैं। पत्रकारों के दमन करने के लिए काफी कुख्यात हैं। पिछले दिनों नदियों में चुगान के लिए कोरोना लॉकडाउन के नाम पर जेसीबी और पोलैंड, जेसीबी मशीनों की अनुमति इन्हीं के विभाग से दी गई है।
पर्वतजन के खिलाफ इस चर्चा में चटकारे लेने का मतलब सहजता से समझा जा सकता है। दूसरे अफसर एमपीएस बिष्ट अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक हैं।
कौन है एमपीएस बिष्ट
एमपीएस बिष्ट इस व्हाट्सएप चैट में कहते हैं कि पर्वत जन की बत्ती गुल है। इस पर तीसरा व्यक्ति कहता है कि आईसीयू में है।
गौरतलब है कि एमपीएस बिष्ट खुद को r.s.s. पृष्ठभूमि से होने की बात को बुलाते हुए अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक बने हैं जबकि इनसे बेहतर योग्यता वाले अन्य अफसर को वंचित कर दिया गया। एमपीएस विश्व में सबसे पहले आउटसोर्स किए हुए कर्मचारियों को बाहर निकाला और श्रीनगर से अपने चहेते दोस्तों के रिश्तेदारों को विभाग में नौकरियां दे दी। बाकी कर्मचारियों को अपने घर की टॉयलेट सीट साफ कराने और बाथरूम साफ करने सहित कुत्ते घुमाने के काम पर लगा दिया था।जब इन्होंने मना किया तो नौकरी से निकाल दिया।
साल भर तक ये दर-दर भटकते रहे और थक कर घर बैठ गये। एक निष्कासित कर्मचारी की पत्नी ने आर्थिक तंगी के चलते अपने दो बच्चों को कमर मे बांधा और नदी मे छलांग मार कर जीवनलीला समाप्त कर दी थी। लेकिन श्री बिष्ट का बाल बांका तक न हुआ।
पर्वतजन ने इसका खुलासा किया था। मेहरबान सिंह बिष्ट और एमपीएस बिष्ट जैसे अफसर अपने स्वार्थों के लिए मुख्यमंत्री के खास बनते हैं और उनके कान भरते हैं। मीडिया के विरुद्ध षडयंत्र करते हैं। जिससे सरकारी भी बदनाम होती हैं। जब तक मुख्यमंत्रियों को समझ में आता है, तब तक उनकी तशरीफों के नीचे से कुर्सी निकल जाती है।
आगे किसका नंबर
पर्वतजन जल्दी ही इन षड्यंत्र कारियो के चेहरों से और भी नकाब उतारेगा। ऐसे कुछ अफसरों के आपसी बातचीत की लीक ऑडियो रिकार्डिंग और अन्य गंभीर आर्थिक अपराध के लिए बनाए सीएम कार्यालय के अफसरों और उनके सुपुत्रों के कई नापाक गठबंधन का भी पर्दाफाश करेगा।
इस षडयंत्र मे शामिल किरदारों के नापाक गठबंधन की ऐसी कहानियां आपने पहले कभी नही सुनी होगी। और ये सब एक महीने के अंदर मे ही होगा।
पर्वतजन के पाठकों से अनुरोध है कि तब तक इस खबर को मुख्यमंत्री से लेकर तमाम जिम्मेदार लोगों तक पहुंचाएं और इन से पूछें कि आखिर पर्वतजन के खिलाफ इस तरह की व्हाट्सएप चैट के पीछे आखिर क्या कारण था !