चंपावत। स्वास्थ्य व्यवस्था के अजब-गजब नमूने देखने हैं तो आपको उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गौर फरमाना होगा। ऐसा ही एक नमूना चंपावत जिला अस्पताल में सामने आया है। जहां कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए पीपीई किट भेजने की बजाय यहां एचआईवी मरीजों की जांच करने वाली किट भेज दी गई। डॉक्टरों ने जब इसको खोला तो वह भी एक बार के लिए हैरत में पड़ गए। शिकायत करने पर पता लगा कि गलती से यह एचआईवी किट भेजी गई।
पीपीई किट मे चेहरे पर लगाए जाने वाले मास्क में चश्मे के साथ-साथ पूरे चेहरे को कवर करने की व्यवस्था होती है, जबकि एचआईवी मरीजों की जांच वाली किट में चेहरे को ढकने के लिए केवल चश्मा होता है। इससे पूरा चेहरा कवर नहीं होता।
सुशीला तिवारी हॉस्पिटल हल्द्वानी व यहां फील्ड में तैनात कर्मचारियों को भी यही किट उपलब्ध कराई गई। हालांकि खामी उजागर होने के बाद अब इसका प्रयोग रोक दिया गया है।
पाठकों को बताना चाहेंगे कि कुछ दिन पहले शासन स्तर से कुछ उपकरण भेजे गए थे। अधिकारियों ने भी वाहवाही लूटी थी कि पीपीई किट की सप्लाई की जा चुकी है। जब इतनी संवेदनशील बीमारी के समय ही ऐसी खामी सामने आ रही है तो सामान्य दिनों में क्या व्यवस्थाएं होती होंगी?
सवाल यह भी है कि जब स्वास्थ्य कर्मियों को ही स्वास्थ्य महकमे द्वारा अंधेरे में रखा जा रहा है तो मरीजों का इलाज किस तरह चल रहा होगा, स्वत: ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
इस संबंध में चंपावत जिले के सीएमओ डॉक्टर आरपी खंडूरी ने भी इस बड़ी खामी को स्वीकार किया है। उनका कहना है कि जनपद में 100 एचआईवी डिलीवरी वाली किट मिली हैं, लेकिन अब जल्द ही यहां पीपीई किट मिल जाएंगी।