उत्तराखंड सरकार नहीं लगता है जमीन पर पांव रखकर हालात का जायजा लेने की संवेदनशीलता को दी है यही कारण है कि राजकीय मेला चिकित्सालय हरिद्वार के 7 वार्ड ब्वाय को जनवरी से वेतन नहीं मिला है अक्टूबर 2019 से इन को प्रोत्साहन भत्ता भी नहीं मिला इसके बावजूद यह वार्ड ब्वाय रात दिन कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रहे हैं।
गंभीर बात यह है कि मार्च में फाइनेंसियल ईयर क्लोज हो जाने के बावजूद किसी ने भी इस बात पर संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत नहीं समझी की इन आठ-नौ हजार रुपए लेने वाले वार्ड ब्वाय की झुकी हुई तनखाह तो दे दी जाए।
इन वार्ड ब्वाय को उपनल के माध्यम से तैनात किया गया है, किंतु स्वास्थ्य विभाग से इनके वेतन का बजट ही नहीं आ रहा। कुछ समय पहले इन वार्ड ब्वाय को कोरोना वारियर्स बता सरकार ने फूल माला जरूर पहनाई थी लेकिन फूल माला से कोई पेट तो नहीं भरता !
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कुछ दिन पहले ही कोरोना मरीजों के इलाज में लगे अस्पतालों को पचास पचास लाख रुपए देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि यह ₹50 लाख उन अस्पतालों में काम कर रहे कोरोनावायरस के लिए है।
एनएचएम के कर्मचारी : काम पूरा, दाम अधूरा
लगभग 3 हजार कर्मचारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में विगत कई वर्ष से कार्य कर रहे हैं।
वर्तमान में सभी कर्मी कोविड़ 19 में अपना दायित्व निभा रहे है। कार्य करने में सभी कर्मचारियों को कोई परेशानी नही है, परन्तु इनका भविष्य सुरक्षित नही है। इनसे विभाग द्वारा प्रत्येक कार्यकम में पूरा कार्य लिया जाता है परंतु इनके भविष्य हेतु किसी प्रकार की कोई गारंटी नही ली जाती।
प्रत्येक वर्ष एक दिन का सर्विस ब्रेक कर दिया जाता है। वेतन भी अत्यधिक कम है। आउटसोर्स के माध्यम से तैनाती होने के कारण एनएचएम कर्मी शोषण की शिकार हो रहे हैं।
वर्तमान में कोविड़ 19 से निपटने में 100%NHM कर्मचारी अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
स्वास्थ्य सम्बंधित सभी राष्ट्रीय कार्यक्रम NHM कर्मचारियों द्वारा ही पूर्ण किये गये हैं। चाहे वह पोलियो हो,आशा वर्क हो,नसबन्धी, जनसंख्या पखवाड़ा,कृमि कार्यक्रम हो या फिर टीकाकरण कार्यकम हो, पूरे साल भर अत्यधिक कार्य लिया जाता है। ऐसे में कर्मचारी भी चाहते हैं कि कोरोना जैसी महामारी में स्वास्थ्य विभाग भी उनके भविष्य के प्रति उनको कुछ ठोस रूप से आश्वासित करें।