भगवान सिंह
उत्तराखंड ने कल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया। सरकार ने अपनी उपलब्धियां बढ़-चढ़कर दिखाई। लेकिन उत्तराखंड की योग एंबेसडर को पिछले डेढ़ साल से मानदेय नहीं मिला है। यह बताता है कि मीडिया की सुर्खियों को छोड़कर हकीकत में हम कितना गंभीर हैं।
सीएम के आदेश हवा मे
दिलराज प्रीत कौर उत्तराखंड योग एंबेसडर हैं और वह एक जुलाई 2017 से उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। इनकी संविदा अवधि 30 जून 2018 से इनको मानदेय प्राप्त नहीं हुआ है और ना ही इनकी संविदा अवधि विस्तारित की गई है।
डेढ साल से बिना वेतन नौकरी
इसके कारण इन्हे आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। डेढ़ वर्ष से इनकी संविदा अवधि विस्तारित की जाने की फाइल सचिवालय में कछुआ चाल से चल रही है। जबकि वह नियमित अपनी सेवाएं उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में दे रही हैं।
सीएम के आदेश को छह महीने हुए
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 29 नवंबर को आयुष सचिव को आदेश दिया था कि इनके अवशेष मानदेय का भुगतान कर दिया जाए और संविदा अवधि भी विस्तारित की जाए, किंतु कुछ नही हुआ। उत्तराखंड योगा एंबेसडर के साथ इस तरह का सलूक वाकई चिंताजनक है।
प्रदेश में भी योग को विकसित करने के लिए दिलराज प्रीतकौर को राज्य का ब्रांड एंबेसडर नियुक्ति किया था। किन्तु दुर्भाग्य की बात है कि विगत दो वर्षों से उनको मानदेय नहीं दिया गया। मानदेय के लिए दिलराज प्रीतकौर को मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारियों तक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। प्रदेश में सैकड़ों योग प्रशिक्षित बेरोजगार अपने रोजगार के लिए विगत तीन वर्षों से सरकार से मांग करते आ रहे हैं किन्तु सरकार की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं की गई।
विपक्ष की मांग
पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि आज विश्व योग दिवस के अवसर पर कांग्रेस ब्रांड एम्बेसडर दिलराज प्रीतकौर के मानदेय के भुगतान की मांग करती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस उत्तराखंड में बेसिक शिक्षा से लेकर स्नातकोत्तर तक के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में योग प्रशिक्षित बेरोजगारों को नियुक्ति प्रदान करने की मांग भी करती है। तभी विश्व योग दिवस का महत्व सिद्ध हो पाएगा।