देखिए वीडियो : मुख्यमंत्री का सफेद झूठ। जमाती को बताया पहला करोना मरीज।पत्रकार उमेश और विधायक नवप्रभात ने उठाए सवाल

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक चैनल पर इंटरव्यू के दौरान कहा कि उत्तराखंड में कोरोनावायरस केस जमातियों से आया था। जबकि एक आम आदमी भी जानता है कि उत्तराखंड में कोरोना के पहले मरीज एफ आर आई के प्रशिक्षु फॉरेस्ट ऑफिसर थे। क्या जोर से बोलने, बार-बार बोलने और सारे लोगों के बोलने से कोई झूठ सच हो जाता है !
देखिए वीडियो :नेशनल चैनल पर जोर से झूठ बोले सीएम 

https://youtu.be/nLd5XsGakKs

यह इंटरव्यू प्रसारित होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट उमेश कुमार ने सबसे फेसबुक लाइव के माध्यम से टिप्पणियां की थी। जाहिर है कि यह जानकारी भी मुख्यमंत्री तक जरूर पहुंची होंगी। उमेश कुमार ने सवाल उठाया था कि राष्ट्रीय चैनल पर झूठ बोलकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य की नाक कटवा रहे हैं और आखिर वह झूठ बोलकर किस को इंप्रेस करना चाहते हैं !
 उत्तराखंड के वरिष्ठ कांग्रेसी पूर्व विधायक नवप्रभात ने भी मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह के बयान की आलोचना करते हुए उनसे स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
 यहां पर पूर्व विधायक नवप्रभात के वीडियो को दिया जा रहा है। आप इसमें स्वयं सुन सकते हैं।
देखिए वीडियो : क्या बोले विधायक नवप्रभात

https://youtu.be/kymMGVWwdU4

मुख्यमंत्री के इस झूठे बयान पर चौतरफा सवाल खड़े हो रहे हैं।
तबलीगी जमात से लौटकर अपनी जांच न कराने वाले लोगों के चलते कोरोना की जो मामले बढ़े उसके कारण पूरा मुस्लिम समाज आलोचना के केंद्र बिंदु पर है।
जांच कराने से बचने वालों के साथ किसी की भी सहानुभूति नहीं हो सकती लेकिन सरकार भी बड़ी सफाई से लोगों के गुस्से को सजिशन उधर ही डाइवर्ट करना चाहती है। ताकि उत्तराखंड मे कम जांच होने, डॉक्टरों की सुविधाओं को लेकर उठाए जा रहे सवाल और तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर कोई सरकार को निशाने पर न ले सके।
 पहला सवाल यही है कि क्या मुख्यमंत्री को वाकई यह मालूम नहीं था कि कोरोना का पहला केस कहां से आया था ! यदि एक मुख्यमंत्री को यही मालूम नहीं है तो फिर यह वाकई बड़ा गंभीर सवाल है।

पहला केस आने पर उसी दिन एक चैनल की रिपोर्ट 

https://youtu.be/VmIiERKwTWU

दूसरा अहम सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री वाकई यह जानकारी प्रसारित करना चाहते हैं कि कोरोना का ठीकरा जमातियों के सिर पर फोड़ दिया जाए। क्योंकि उनका पूरा इंटरव्यू यहां दिया जा रहा है और आप भी सुन सकते हैं कि किस तरह से यह पूरा साक्षात्कार जमातियों के ही इर्द-गिर्द मुख्यमंत्री ने फोकस किया हुआ है।
 दूसरा सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा इंटरव्यू से आने के बाद यह इंटरव्यू उनके फेसबुक अकाउंट पर अपलोड कर दिया गया था और यह इंटरव्यू अभी भी उनके फेसबुक पर ही अपलोड है।
 जाहिर है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इंटरव्यू से आने के बाद तो जरूर उनके सलाहकारों ने बताया होगा कि कोरोना का पहला मामला जमातियों से नहीं आया था। यदि उनके सलाहकारों ने उनको अभी तक भी नहीं बताया तो फिर आखिर वह तनख्वाह किस बात की ले रहे हैं !
 इसके बावजूद भी इस साक्षात्कार पर ना तो संशोधन प्रस्तुत किया गया और ना ही यह इंटरव्यू उनके फेसबुक अकाउंट से हटाया गया है !
 इसका अर्थ यह निकलता है कि मुख्यमंत्री जानबूझकर उत्तराखंड में कोरोना के लिए जमातियों को जिम्मेदार ठहराना चाहते हैं।
सीएम के झूठ का स्क्रीन शाट
 मुख्यमंत्री के इंटरव्यू को 5300 लोगों ने शेयर किया है और इस पर 11000 प्रतिक्रियाएं आई हैं और 1100 कमेंट आए हैं।
 29 अप्रैल को लगभग 7:49 पर शाम को अपलोड किया गया। यह इंटरव्यू इस कैप्शन के साथ अपलोड है कि “इंडिया टीवी के साथ प्रदेश में कोरोना वायरस महामारी के संबंध में बातचीत।”
 जाहिर है कि जब यह बातचीत कोरोनावायरस के विषय में थी तो मुख्यमंत्री भी पूरी तैयारी करके गए होंगे। ऐसे इंटरव्यू में सवाल भी अधिकतर पूर्व निर्धारित और पहले से ही तय होते हैं।
अहम बात यह भी है कि मुख्यमंत्री से एंकर ने इस संबंध में सवाल नहीं पूछा था बल्कि मुख्यमंत्री ने यह बात खुद से ही कही। इसका मतलब यह है कि सीएम इस बात को खुद ही कहना चाहते थे। लेकिन आखिर क्यों !!
 ऐसे में पहला केस जमातियों का बताए जाने से मुख्यमंत्री की मनसा और सत्य निष्ठा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
अहम सवाल यह भी है कि क्या मुख्यमंत्री पर फेक न्यूज़ फैलाने और कोरोना पर भ्रामक जानकारी देने के लिए कोई जिम्मेदारी फिक्स नहीं की जा सकती !
आखिर मुख्यमंत्री के इस बयान पर 29 अप्रैल से आज तक सारा मीडिया क्यों चुप्पी साधे हुए है !
 झूठ की चौतरफा आलोचना। सीएम झूठ पर अड़े
 मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री की झूठ बोलने की चौतरफा आलोचना हो रही है। लेकिन उनका साक्षात्कार अभी भी उनके फेसबुक अकाउंट पर देखा जा सकता है।
 यह अपने आप में गंभीर बात है कि सरकार कोरोना के मामले को ठीक से ना संभालने मे असफल होने के कारण कोरोनावायरस को भी हिंदू मुस्लिम कार्ड खेलते हुए इसका ठीकरा जमातियों के सर पर फोड़ना चाहती है। यह इस बात से ही साफ हो जाता है कि यदि मुख्यमंत्री को जानकारी नहीं थी तो वह जानकारी सही कर सकते थे लेकिन जिस तरह से 3 दिन बाद भी उनके फेसबुक अकाउंट पर उनका या इंटरव्यू बिना किसी संशोधन या खेद प्रकट किए अभी भी जारी है उससे यही लगता है कि वह को रोना के प्रति उत्तराखंड में कोई फिक्स नरेशन गढ़ना चाहते हैं।
Read Next Article Scroll Down

Related Posts