लंबे समय से वन विभाग के मुखिया हाॅफ के पद की लड़ाई का आखिरकार हल निकल ही गया।
राजीव भरतरी और विनोद सिंघल दोनों ही हाॅफ के पद से रिटायर हो सकेंगे।
कयास लगाए जा रहे हैं कि हॉफ के पद पर तैनात राजीव भरतरी वीआरएस लेने जा रहे हैं तो फिर वही विनोद सिंघल का कार्यकाल भी इस माह के अंत तक समाप्त हो जाएगा।
प्रतिष्ठा का विषय बनी कुर्सी
गौरतलब है कि राजीव भरतरी को हाॅफ के पद से हटाए जाने के बाद विनोद सिंघल को वन विभाग का मुखिया बनाए जाने से नाराज राजीव भरतरी हाई कोर्ट चले गए थे।
हाईकोर्ट ने राजीव भरतरी को फिर से हाॅफ बनाए जाने के आदेश जारी किए थे और बड़ी ना नुकर के बाद आखिरकार हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में सरकार को राजीव भरतरी को हाॅफ की कुर्सी वापस करनी पड़ी।
लेकिन अबकी बार विनोद सिंघल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए।सुप्रीम कोर्ट ने विनोद सिंघल को ही हाॅफ बनाने के आदेश जारी कर दिए।
ऐसे निकलेगा हल
यह आदेश मिलते ही राजीव भरतरी शासन की शरण में चले गए और आखिरकार इनकी इस लड़ाई का पटाक्षेप कुछ यूं हुआ कि दोनों ही अधिकारियों के पद से रिटायर होंगे।
अब इसका एक रास्ता यही है कि वर्तमान में हाॅफ के पद पर तैनात राजीव भरतरी वीआरएस ले लें और इस तरह से विनोद सिंघल नए हाॅफ बन जाएं और फिर माह के अंत में वह भी रिटायर हो जाएंगे।
कुल मिलाकर फरवरी से मई तक का समय अग्नि काल का समय होता है लेकिन यह पूरा समय दो वरिष्ठ अधिकारियों की वर्चस्व की और सम्मान की लड़ाई में गुजर गया।
अफसरों की लड़ाई में जनता का नुकसान
सरकार ने भी इनकी लड़ाई में कोई हस्तक्षेप नहीं किया लिहाजा दोनों को अपने सम्मान के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना पड़ा।
लेकिन इसका खामियाजा आखिरकार जनता को ही भुगतना पड़ा।दोनों अधिकारियों की वर्चस्व की लड़ाई के चलते अधीनस्थ अधिकारी भी तमाशबीन बनकर देखते रहे और अपने कर्तव्यों की ओर लगभग सभी विमुख रहे।
जिसके चलते एक तरफ जंगलों में आग पर कोई खास काबू नहीं पाया गया और जंगलों की आग मौसम के भरोसे ही रही, वहीं ट्रांसफर पोस्टिंग के मामलों में भी अधिकारियों को इंतजार ही करना पड़ा। यदि सरकार समय रहते ऐसे मामलों पर सम्यक निर्णय ले तो जनहित के मामलों में अनावश्यक नुकसान से बचा जा सकता है।