(उत्तराखंड), सितंबर 2025 – नेपाल में हाल ही में हुए जेन जेड आंदोलन (Gen Z Andolan) के दौरान जेल तोड़कर फरार हुए चार कुख्यात अपराधियों को उत्तराखंड बॉर्डर पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (SSB) के जवानों ने धर दबोचा। पकड़े गए आरोपियों में तीन दुराचार मामलों में सजायाफ्ता और एक हत्या का दोषी शामिल है।
भारत में दाखिल होने के बाद चारों से एसएसबी और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम कड़ी पूछताछ कर रही है।
अधिकारियों ने बताया कि आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं के बाद अपराधियों को नेपाल पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा।
सीमा पर सजगता से हुई गिरफ्तारी
पिथौरागढ़ जिले में तैनात एसएसबी की 55वीं वाहिनी के जवान शुक्रवार देर रात ध्याण क्षेत्र में काली नदी के किनारे गश्त कर रहे थे।
रात लगभग 11 बजे चार नेपाली युवक रबर ट्यूब की मदद से नदी पार करके भारत के देवताल इलाके में दाखिल हुए।
गश्ती दल ने उन्हें तत्काल पकड़ लिया और थाने लाकर पूछताछ शुरू की।
प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे नेपाल की जेल से भागकर भारत में घुसे हैं। इसके बाद एसएसबी ने उनकी जानकारी नेपाल पुलिस से साझा की, जहां से मिली सूची से उनकी पहचान की पुष्टि हुई।
गिरफ्तार अपराधियों की पहचान
- धर्मेंद्र चंद, निवासी पंचेश्वर गांव – दुराचार का मामला
- तर्कराम लुहार, निवासी बैतड़ी – दुराचार का मामला
- सूरज साऊद, निवासी बेलडाड़ी जिला कंचनपुर – दुराचार का मामला
- आशिक पहरी, निवासी पाटन – हत्या का मामला
नेपाल की अदालत ने तीनों दुराचार मामलों के दोषियों को 10 से 18 साल की कैद की सजा सुनाई थी। वहीं, हत्या के मामले में आशिक पहरी को उम्रकैद मिली हुई है।
गहन पूछताछ और सुरक्षा जांच
एसएसबी और पुलिस की संयुक्त टीम चारों फरार कैदियों से लगातार पूछताछ कर रही है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि –
- भारत में घुसने के पीछे उनकी असली मंशा क्या थी?
- क्या उनका किसी आपराधिक नेटवर्क से संबंध है?
- क्या वे यहां कोई बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले थे?
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन्हें नेपाल पुलिस के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
सुरक्षा के लिए बड़ा सबक
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत-नेपाल सीमा पर चौकसी और निगरानी कितनी अहम है। नेपाल में अशांति के बीच जेल से भागे अपराधियों का भारत में घुसपैठ करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण है।
एसएसबी की सतर्कता से न केवल संभावित खतरे को टाला गया, बल्कि भारत-नेपाल सीमा सुरक्षा की विश्वसनीयता भी और मजबूत हुई है।


