देहरादून, 15 जुलाई 2025
पूर्व सैन्य अधिकारी कर्नल अजय कोठियाल (रिटायर्ड) ने एक बार फिर कर्तव्यनिष्ठा और जनसेवा की मिसाल पेश की है। उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने सरकार से मिलने वाली करीब ₹24 लाख की वित्तीय सुविधाएं लेने से इनकार कर दिया है।
उन्होंने सैनिक कल्याण निदेशक को पत्र भेजकर स्पष्ट किया कि वह इस पद का निर्वहन बिना किसी मानदेय या सुविधा के करेंगे। उनका यह पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और आमजन के बीच ईमानदारी व त्याग की सराहनीय मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।
✔️ “सुविधाएं नहीं, सेवा चाहिए”: कर्नल कोठियाल
अपने पत्र में कर्नल कोठियाल ने लिखा है कि उन्हें सेना से अच्छी पेंशन प्राप्त होती है और वीरता पुरस्कारों की धनराशि भी है। निजी जीवन में कोई पारिवारिक जिम्मेदारी न होने के कारण उनके खर्च भी सीमित हैं। ऐसे में उन्हें सरकारी सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है।
वे चाहते हैं कि सरकार की ओर से निर्धारित सुविधाओं का उपयोग पूर्व सैनिकों के कल्याण में किया जाए।
✅ किन सुविधाओं से किया परहेज?
सुविधा | अनुमानित मासिक राशि |
---|---|
वाहन भत्ता | ₹80,000 |
आवास/कार्यालय | ₹25,000 |
टेलीफोन/मोबाइल | ₹2,000 |
स्टाफ भत्ता | ₹27,000 |
मानदेय | ₹45,000 |
यात्रा भत्ता | ₹40,000 |
कुल मासिक राशि | ₹2.19 लाख |
अवधि (फरवरी 2026 तक) | ₹24.09 लाख |
🏛 परिषद का कार्य, समर्पण से आगे बढ़ाने का संकल्प
कर्नल कोठियाल ने अपने पत्र में कहा कि सेना में 28 वर्षों की सेवा के दौरान उन्होंने सैनिकों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं को गहराई से समझा है। उनका मानना है कि पूर्व सैनिकों की क्षमताओं का सही उपयोग उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ समाज के लिए भी उपयोगी बना सकता है। इसी सोच के तहत उन्होंने परिषद का दायित्व लिया है।
🏢 निदेशालय में अस्थायी कार्यालय की मांग, खर्च भी खुद उठाएंगे
उन्होंने निदेशक से आग्रह किया है कि पूर्व सैनिकों के कार्यों में समन्वय बनाए रखने के लिए सैनिक कल्याण निदेशालय परिसर में ही परिषद का अस्थायी कार्यालय खोलने की अनुमति दी जाए।
इस कार्यालय के लिए निदेशालय ने ₹2.45 लाख के बजट की मांग शासन से की है, लेकिन कर्नल कोठियाल ने कहा है कि यदि सरकार से बजट स्वीकृत होने में समय लगता है तो वह खुद यह राशि खर्च करने को तैयार हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में यह राशि स्वीकृत हो जाती है, तो वापस कर दी जा सकती है, अन्यथा भी वह इसकी वापसी की कोई मांग नहीं करेंगे।
💬 “उत्तराखंड को सैन्य धाम बनाने के संकल्प में सहभागी”
कर्नल कोठियाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड को ‘पांचवां धाम – सैन्य धाम’ कहे जाने को दोहराते हुए कहा कि वह इस सोच को साकार करने में पूरी जिम्मेदारी से काम करेंगे। उनका आग्रह है कि परिषद को कार्यात्मक बनाने में निदेशालय सहयोग करे, पर इस प्रक्रिया में कोई वित्तीय भार न हो।
👏 जनता और सोशल मीडिया पर हो रही सराहना
कर्नल कोठियाल के इस कदम को सोशल मीडिया पर देशभक्ति और पारदर्शिता की नई मिसाल कहा जा रहा है। पूर्व सैनिकों और प्रदेश के युवाओं में भी इस निर्णय को लेकर गर्व और प्रेरणा की भावना देखी जा रही है।