जयप्रकाश नोगाई
श्रीनगर गढ़वाल। श्रीनगर नगर निगम की प्रथम मेयर आरती भंडारी ने नगर आयुक्त नूपुर वर्मा पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
उन्होंने दावा किया कि नगर आयुक्त ने पूर्व प्रशासक कार्यकाल के दौरान नगर निगम में कई निर्माण कार्यों में नियमों की खुली अवहेलना की है।
इन कार्यों को बिना टेंडर की प्रक्रिया अपनाए बाहरी ठेकेदारों को सौंपा गया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो गए हैं।
मेयर भंडारी ने कहा कि नगर आयुक्त ने सहारनपुर, हरिद्वार और रुड़की जैसे शहरों के ठेकेदारों को लाखों रुपए के ठेके दिए, जबकि स्थानीय ठेकेदारों की पूरी तरह से अनदेखी की गई। इसके अलावा, बैकुंठ चतुर्दशी मेले के दौरान वितरित किए गए मोमेंटो और अन्य व्यवस्थाओं में भी भारी अनियमितताएं सामने आई हैं।
आरती भंडारी ने इन सभी मामलों में एसआईटी जांच की मांग करते हुए स्पष्ट किया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वह नगर निगम के अंतर्गत कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लेंगी।
उन्होंने यह भी कहा कि श्रीनगर नगर निगम को ऐसे नगर आयुक्त की आवश्यकता नहीं है, जिन पर भ्रष्टाचार के इतने गंभीर आरोप हों। उन्होंने नगर आयुक्त नूपुर वर्मा के तत्काल स्थानांतरण की भी मांग की।
पार्षद सुमित द्वारा लगाए गए आरोपों में कहा गया है कि जब तहसील परिसर में टाइल्स लगाए जाने के कार्य पर नगर आयुक्त से जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। लेकिन दो-तीन दिन बाद उसी कार्य की धनराशि का आहरण कर लिया गया, जिससे संदेह और भी गहरा हो गया।
स्थानीय ठेकेदारों का भी आरोप है कि उन्हें किसी भी कार्य में शामिल नहीं किया गया और सारा कार्य केवल बाहरी ठेकेदारों को ही सौंपा गया।
मेयर ने प्रेस वार्ता के दौरान यह भी आरोप लगाया कि नियमों को दरकिनार कर कुछ चुनिंदा फर्मों को करोड़ों रुपये के कार्य दे दिए गए हैं।
अब देखना यह होगा कि नगर आयुक्त और मेयर के बीच चल रही यह तनातनी क्या मोड़ लेती है और सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।
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