पुरोला
नीरज उत्तराखंडी
हिमाचल की सीमा से सटे जनपद उत्तरकाशी के विकास खंड मोरी के सीमांत सेवा व बरी गांवों को जोड़ने वाला पैदल मार्ग अतिवृष्टि से हुए भूस्खलन से जगह-जगह टूट गया है। इन सीमांत गांवों के लिए धौला से पैदल जाना पड़ता है।
क्षेत्र में हुई भारी बारिश से धौला से सेवा बरी गांवों को जोड़ने वाला पैदल मार्ग जगह- जगह क्षतिग्रस्त है। ग्रामीण जान की परवाह किये बिना सफर करने को मजबूर है। जूनियर हाई बरी में लम्बे समय से सेवा दे रहे जयचंद जोशी ने बरी से धौला तक पैदल यात्रा कर यात्रा के जोखिम और सीमांत वासियों की पीड़ा व मुसीबतों को साझा किया ।
जोशी ने बताया कि पैदल मार्ग कम से कम 10 जगह पर मलवा व पत्थर आने से बंद है। ग्रामीण जान जोखिम में डाल कर आवागमन कर रहे हैं ।
मार्ग अवरुद्ध होने से सीमांत वासियों के सामने दो ही विकल्प है या तो जगह- जगह बंद पड़े पैदल मार्ग से जान जोखिम में डाल कर आवागमन करें या फिर अतिरिक्त किराया देकर दोणी गांव होते हुए 6 किमी की जोखिम भरी दूरी तय करना अपनी नियति मान लें।
बतातें चले कि बरी व सेवा सीमांत गांव अभी भी मोटर मार्ग से नहीं जुड़ पाये हैं । बरी व सेवा सीमांत गांव से ठीक सामने हिमाचल प्रदेश के सीमांत गांव डोडरा व क्वांर में हुए विकास व मूलभूत सुविधाओं को निहारा जा सकता है। लेकिन उत्तराखंड के आखिर गांवों तक अभी विकास की किरण नहीं पहुंच पाई है।
सेवा व बरी में लगभग 200 परिवार आज भी सड़क मार्ग सुविधा की राह ताक रहे है। सीमांत वासियों को दैनिक उपभोग की वस्तु जुटाने तथा आपदा कालीन वक्त पर पैदल पगडंडी के सहारे प्राकृति आपदा का जोखिम झेल कर सफर करना पड़ रहा है।