स्थान-शीतलाखेत
रिपोर्ट ललित बिष्ट
गर्मी के मौसम में पहाड़ों में हर तरह आग से जंगल जल रहे है।
जिसके लिए वन विभाग के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे है। पिछले तीन दिन से जंगल की आग को स्याही देवी आरक्षित वन क्षेत्र में पहुंचने से रोकने के लिए वन विभाग और क्षेत्रीय जनता के भरपूर प्रयास से भी आग नही बुझ पाई ।
जिसके बाद कोसी में मौजूद आईं टी बी पी के 28 जवानों की टीम भी मदद के लिए आ गई थी।
ग्रामीणों का कहना था कि
स्याही देवी की चोटी से नीचे दो दिशाओं में लगभग 50 लोगों को दो टीमों में बांटकर हम लोग जंगल को आग से बचाने की आखिरी कोशिश कर रहे थे। लगातार तीन दिनों से जंगल में रहने से लस्त पस्त शरीर और थके हुए मन को किसी तरह जगाये रखने का प्रयास कर रहे थे।तेज हवाओं और आग की झुलसा देने वाली लपटों ने एक एक कदम बढ़ाना मुश्किल बना दिया था। बहुत बार,जब फायर लाईन टूटने की घटनाओं से,ऐसा लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता तब किसी चमत्कार की तरह मां स्याही देवी का आशीर्वाद बारिश के रुप में बरस पड़ा और अपने जंगल को बचाने की लडा़ई हम हारते हारते जीत गए।
उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि
उस समय बारिश की बूंदों के साथ बहुत सी आंखों से आंसू की बूंदें भी परमात्मा को धन्यवाद स्वरूप बरस रहीं थीं।
आई टी बी पी के जवानों के साथ धामस ,रौन डाल, सल्ला, शीतला खेत,देवलीखान,मटीला,नौला, स्याही देवी , खूंट आदि गांवों के सभी ग्रामवासियों , महिला मंगल दलों तथा वन विभाग की टीम ने सहयोग किया।
समाजसेवी गजेंद्र पाठक का कहना है कि ,हमारे जीवन के आधार बने इन जंगलों को बचाने की लडा़ई आगे भी जारी रहेगी साथ ही उन्होंने
उत्तराखंड की सम्मानित जनता से अनुरोध किया है कि हमारे जीवन के आधार जंगलों को वनाग्नि से सुरक्षित रखने में वन विभाग को सहयोग प्रदान करें अकेले वन विभाग जंगलों की रक्षा नहीं कर सकता है।