देहरादून।
श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के कैंसर सर्जरी विभाग में 40 वर्षीय महिला की सफल कैंसर सर्जरी की गई। कैंसर के कारण महिला के दोनों स्तन बुरी तरह प्रभावित थे।
सर्जरी के दौरान महिला के दोनों स्तनों को निकालकर उपचार बाद दोबारा बना दिया गया। ऑपरेशन में खास बात यह रही कि सिलिकॉन इम्प्लांट से प्लास्टिक सर्जरी कर दोनों स्तनो को दोबारा बनाया गया।
सर्जरी के बाद महिला पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं और इस बात से बहुत खुश है की उसने ना सिर्फ कैंसर से मुक्ति पाई बल्कि अपने स्त्रीत्व से भी वंचित नहीं हुई है।
श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज जी ने कैंसर सर्जरी में शामिल टीम के हर सदस्य को इस सफल सर्जरी के लिए बधाई दी।
काबिलेगौर है कि स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं कीे जटिल स्तन कैंसर सर्जरी के दौरान स्तन निकाल दिये जाते हैं।
मेडिकल साइंस में कैंसर उपचार के कई आधुनिक तकनीकों के आ जाने के बाद स्तन कैंसर रोगियों का कैंसर उपचार बहुत आसान हो गया है।
स्तन कैंसर के उपचार के दौरान स्तन के छोटे हिस्से या पूरे स्तन को निकालने के बावजूद, स्तन को दोबाया बनाया जा सकता है।
इस मामले में श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कैंसर सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ पंकज गर्ग ने भी इसी तकनीक (सिलिकॉन इम्प्लांट) का इस्तेमाल कर महिला के स्तन कैंसर का उपचार किया व दोनों स्तनों को दोबारा लगा दिया।
पहले यह सुविधा मैट्रो शहरों में उपलब्ध हुआ करती थी, अब यह तकनीक श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कैंसर सर्जरी विभाग में भी उपलब्ध है।
डॉ पंकज गर्ग, सीनियर कैंसर सर्जन, ने बताया विश्व में स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है।
हमारे देश भारत में हर चार मिनट में एक महिला को स्तन कैंसर के होने की पुष्टि होती है। एक अनुमान के अनुसार सन 2030 तक हर तीस महिला में से एक को स्तन कैंसर होने की सम्भावना है।
स्तन कैंसर से पीड़ित होने पर महिला को न सिर्फ कैंसर से बल्कि सामाजिक रूढ़िवादिता, अन्धविश्वास, परिजनों की सोच, और हीनभावना से भी झूझना पढता है।
डॉ अजीत तिवारी, कैंसर सर्जन ने बताया की आज के समय मैं स्तन कैंसर सर्जरी की बहुत सारी नयी तकनीक आ गयी हैं जिससे महिला के स्तन को ऑपरेशन के बाद बिलकुल नार्मल बनाया जा सकता है।
स्तन कैंसर के उपचार की सभी सुविधाएं श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में उपलब्ध हैं। सर्जरी के बाद महिला पूर्ण रूप से स्वस्थ है और इस बात से बहुत खुश है की उसने ना सिर्फ कैंसर से मुक्ति पाई बल्कि अपने स्त्रीत्व से भी वंचित नहीं हुई. सर्जरी के दौरान कैंसर सर्जन डॉ अजीत तिवारी एवम डॉ प्रियंका कॉल, डॉ मोहित सैनी (एनेस्थेटिस्ट), मेघना, पूजा, अभिलाष (नर्सिंग स्टाफ) की टीम का सहयोग रहा।