परिसंपत्तियों के बंटवारे में उत्तराखंड को छला गया है।आपको बता दें कि 18 नवंबर 2021 को परिसंपत्तियों के बंटवारे के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक करने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया था कि परिसंपत्तियों के बंटवारे का मसला सुलझा लिया गया है। और इसमें उत्तराखंड के हितों को सुरक्षित रखा गया है।
लेकिन अब जो मामले सामने आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के भूभाग पर स्थित परिसंपत्तियों को मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के हवाले कर आए हैं। और इस तरह उन्होंने उत्तराखंड के हितों के साथ कुठाराघात किया है।
इस मामले में 2 दिसंबर 2021 को जारी बैठक का कार्यवृत्त बता रहा है कि कुंभ क्षेत्र समेत उत्तराखंड के भूभाग में स्थित परिसंपत्तियों को उत्तराखंड को सौंपने के बजाय इस पर उतर प्रदेश का स्वामित्व कायम रखा गया है ।
बयान में कहा गया है कि हरिद्वार में कुंभ मेले के लिए उपयोग में लाए जाने वाली कुल 697.576 हेक्टेयर भूमि के संबंध में फैसला किया गया है । यह भूमि उत्तराखंड को हस्तांतरित नहीं की जाएगी बल्कि इस पर उत्तर प्रदेश का स्वामित्व रहेगा और कुंभ मेला व अन्य आवश्यक कार्यो के लिए अनुमति प्रदान की जाएगी।
यानी कि साफ जाहिर है कि उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित कुंभ मेला क्षेत्र न केवल उत्तर प्रदेश को दे दिया गया है बल्कि उस पर कोई भी आयोजन करने के लिए उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अनुमति लेने का प्रावधान भी कर दिया गया है।
वहीं इसी तरह उधम सिंह नगर जनपद में धोरा बेंगलु एवं नानक सागर बांध एवं जलाशय में जल क्रीड़ा एवं पर्यटन के लिए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से उत्तराखंड को अनुमति देने की सिफारिश की गई है।
लेकिन प्रश्न है यहां उठता है कि उत्तराखंड की जमीन पर स्थित इन जलाशयों पर उत्तराखंड का अधिकार क्यों नहीं है टिहरी बांध से जिस तरह उत्तराखंड की हिस्सेदारी खत्म की गई है यह भी ठीक उसी तरह का मामला है।
राज्य बनते समय परिसंपत्तियों में उत्तराखंड के साथ छल किया गया, तब भी उत्तर प्रदेश और केंद्र में भाजपा सरकार थी। आज राज्य बनने के दो दशक बाद फिर से परिसंपत्तियों के बंटवारे में उत्तराखंड को ठगा जा रहा है और इस समय में उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और केन्द्र तीनों ही जगह भाजपा सरकार है।
प्रश्न यह भी उठता है कि उत्तराखंड को जिस प्रकार ठगा जा रहा है वहां उत्तराखंड सरकार क्यों मौन हो रखी है।
वहीं इस प्रकरण में उत्तराखंड क्रांति दल के मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने भी परिसंपत्ति बंटवारे को निरस्त कर उत्तराखंड की भूमि पर स्थित सभी परिसंपत्तियों का स्वामित्व उत्तराखंड को सौंपने की मांग की है। साथ ही वामदलों ने भी निरस्त करने की मांग की है।