देहरादून।
उत्तराखंड सरकार पर नौकरशाही हावी है,जिसका उदाहरण अक्सर अफसर देते रहते हैं।
सरकार के दावों की धज्जियां उड़ाते हुए अफसर मनचाही पोस्टिंग करा रहे हैं और तबादला आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं।
ताजा मामला रुड़की नगर निगम के सहायक नगर अधिकारी चंद्रकांत भट्ट का है। इन्हें मुख्यालय अटैच किया गया लेकिन इन्होनें ज्वाइन नहीं किया।
सियासी दबाव बनाया गया तो शहरी विकास निदेशक रयाल ने इन्हें निलंबित कर दिया। लेकिन अफसर के रसूख के आगे पूरे विभाग को झुकना पड़ा और इन्हें बहाल करके रुड़की में ही तैनात कर दिया गया।
इतना ही नहीं, निगम में फिर से ज्वाइनिंग के बाद मेयर और पार्षदों ने भट्ट का बकायदा स्वागत भी किया।
ऐसे ही एक पीसीएस अफसर हैं अभिषेक त्रिपाठी, जो लंबे समय से एनएचएम में ही जमे हैं। सरकार ने इन्हें एनएचएम ने हटाकर दिल्ली में स्थानिक आयुक्त बनाया गया था। लेकिन उन्होंने नए पद पर ज्वाइन ही नहीं किया। अब त्रिपाठी को एक बार फिर से एनएचएम में अपर निदेशक का पदभार दे दिया गया है।
जाहिर है कि किसी जुगाड़ ने उन्होंने सरकार को अपना आदेश पलटने को मजबूर कर दिया।
वही पिछले साल मुख्य सचिव ने एक आदेश किया था कि किसी भी अफसर या कर्मी को पुर्ननियुक्ति नहीं दी जाएगी। इस आदेश की वजह से तमाम प्रस्ताव रद भी किए गए। लेकिन आईएएस अफसर हरबंश चुघ को सरकार ने तीन माह के लिए पुर्ननियुक्ति दे दी है।
इससे साफ जाहिर होता है कि सरकारी अफसरों को सरकार के आदेशों की कोई परवाह नहीं है। नौकरशाही के आगे सरकार पस्त हो चुके हैं।