ग्राम पंचायतों की सूचना छिपाने पर पंचायत अधिकारी निलंबित, 25-25 हजार का जुर्माना
उत्तराखंड, 26 मई 2025।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई पंचायतों की जानकारी समय पर न देने और भ्रामक सूचना देने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए पंचायत और शिक्षा विभाग के दो लोक सूचना अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही पंचायत विभाग के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य को निलंबित कर दिया गया है।
सूचना देने में की गई लापरवाही, सालभर नहीं दी जानकारी
उधमसिंहनगर जिले के निखिलेश घरामी ने वर्ष 2019 में सितारगंज ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों — देवीपुरा, डियोड़ी, बिडौरा, गिधौर, खमरिया, खैराना, बलखेड़ा और सिद्धानवदिया — में कराए गए विकास कार्यों, खुली बैठकों के निर्णयों आदि की सूचना मांगी थी। लेकिन लोक सूचना अधिकारी ने एक वर्ष तक सूचना नहीं दी और जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों पर डाल दी।
आखिरकार आवेदक ने राज्य सूचना आयोग में अपील की, जहां सुनवाई के दौरान आयोग ने पाया कि ग्राम प्रधानों ने खुद लिखित में बताया कि सभी अभिलेख ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के पास हैं। इससे यह स्पष्ट हुआ कि जानबूझकर सूचना को रोका गया।
आयोग ने की कड़ी कार्रवाई, भ्रष्टाचार की भी आशंका
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इस गंभीर लापरवाही को देखते हुए न केवल 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, बल्कि ग्राम पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश भी दिए। साथ ही, आयोग ने दर्ज शिकायत में भ्रष्टाचार को संरक्षण देने या उसमें शामिल होने की आशंका को भी संज्ञान में लिया है।
जिला पंचायत राज अधिकारी को दिए निर्देश
आयोग ने स्पष्ट किया कि ग्राम पंचायत संवैधानिक इकाई है, और उसके सचिव ग्राम पंचायत विकास अधिकारी होते हैं। इन अधिकारियों का दायित्व है कि सूचना का अधिकार अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करें और अभिलेखों का सुरक्षित प्रबंधन करें।
राज्य सूचना आयोग ने जिला पंचायत राज अधिकारी, उधमसिंहनगर को निर्देशित किया है कि:
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अपीलकर्ता को सभी वांछित सूचनाएं तत्काल उपलब्ध कराई जाएं।
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यदि अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं, तो उसकी जांच कर रिपोर्ट आयोग को भेजी जाए।
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अपीलकर्ता के द्वारा उठाए गए गंभीर मुद्दों पर लिखित प्रत्यावेदन लेकर उस पर उचित कार्रवाई की जाए।
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सभी ग्राम पंचायत अधिकारियों को आरटीआई अधिनियम का प्रशिक्षण दिया जाए।
पारदर्शिता के लिए मजबूत कदम
यह निर्णय न केवल शासन व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सूचना आयोग गंभीर और सख्त रवैया अपनाए हुए है।
आयोग की कार्रवाई से यह संदेश गया है कि सूचना के अधिकार का उल्लंघन करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा, और जनता को उनका अधिकार दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।