उत्तराखंड में इस समय भर्ती घोटालों को लेकर बवाल मचा हुआ है हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के बड़े भर्ती घोटाले के बाद विधानसभा बैक डोर भर्ती का जिन्न बाहर निकल कर आया।
जिसके बाद भर्ती घोटाले मामले में घिरी सरकार ने बड़े फैसले लिए और विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने 2015-16 से लेकर 2022 तक की सभी भर्तियां कैंसिल कर दी, जिसके बाद लगभग 230 कर्मचारी विधानसभा से बाहर हो गए।
विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी के इस फैसले के बाद जहां 1 वर्ग के लोगों ने उनकी जमकर तारीफ की, वहीं दूसरी ओर कुछ चीजों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष की किरकिरी सोशल मीडिया पर हो गई।
दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी द्वारा गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद्र अग्रवाल के कार्यकाल में नियुक्त किए गए लगभग 230 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लेकिन खुद रितु खंडूरी ने उत्तराखंड से बाहर के लोगों को विधानसभा में भर्ती दे दी। जिसके बाद उत्तराखंड में बवाल मचना तो तय था ही।
सोशल मीडिया पर गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल की नियुक्तियों की बर्खास्तगी के बाद से ही लगातार रितु खंडूरी से यह सवाल पूछा जा रहा है कि जिस जांच कमेटी ने बैक डोर भर्तियों की जांच की उसने सभी बैक डोर भर्तियों को अवैध माना लेकिन उन्होंने मात्र गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल की भर्तियों को ही क्यों निरस्त किया। जब सभी भर्तियां अवैध हैं तो प्रकाश पंत,यशपाल आर्य और हरबंस कपूर के कार्यकाल की भर्तियों पर क्यों कोई कार्यवाही नहीं की गई।
ऊपर से सोशल मीडिया पर जो बवाल मचा हुआ है उसका एक और बड़ा कारण उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद रितु खंडूरी द्वारा को-टर्मिनस के आधार पर की गई भर्तियां भी है।
विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी की सोशल मीडिया पर जमकर किरकिरी हो रही है की जब सब भर्तियां अवैध हैं तो रितु खंडूरी द्वारा की गई भर्तियां वेध कैसे हुई।
साथ ही यह सवाल बड़ा और भी हो गया जब पता लगा कि जिन लोगों को उत्तराखंड विधानसभा में तैनात किया है वह सब उत्तराखंड से बाहर के लोग हैं।
अब उठ रहे इन सभी सवालों के बीच विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी का बयान सामने आया है जिसमें वह कह रही है ” मैंने कोई भी नई चीज नहीं की है पूरे देश में किसी भी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री या मंत्री को अपना निजी स्टाफ रखने का अधिकार होता है। मैंने वही किया जो होता आ रहा है। विधानसभा अध्यक्ष अनेक को टर्मिनस का हवाला देते हुए कहा कि यह स्टाफ परमानेंट नहीं है यह जब तक मैं चाहूंगी तब तक रहेगा और जब मैं इस पद को त्याग दूंगी तब यह मेरे साथ चला जाएगा यह स्टाफ सैलरी के अलावा कोई दूसरी सुविधा नहीं लेता। साथ ही उन्होंने बोला कि उत्तराखंड के कई भाई-बहन भी अन्य राज्यों में काम करते हैं तो इन्हें बैकडोर भर्तियां कहना गलत होगा।”
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हालांकि इस बयान के बाद फिर से सोशल मीडिया में वही सवाल खड़ा हो गया है कि जब यह सही है तो प्रेमचंद अग्रवाल और कुंजवाल ने फिर क्या गुनाह किया और उनसे पहले वाले प्रकाश पंत, हरबंस कपूर और यशपाल आर्य के चहेतों को क्यों छोड़ दिया ।