पंचायतों के खातों की ऑडिट में उत्तराखंड फिसड्डी है। इससे उत्तराखंड की आर्थिक मदद को झटका मिल सकता है।
पंचायतों को वित्तीय रूप से पारदर्शी बनाने के मामले में उत्तराखंड सुस्त राज्यों में शुमार है।
उत्तराखंड में सरकार पंचायतों के खातों का ऑडिट कराने के मामले में हाथ पीछे खींचते रही है।
केरल जैसे राज्य में जहां पर शत-प्रतिशत पंचायतों के खातों का ऑडिट हो चुका है, वहीं उत्तराखंड में वर्ष 2020-21 मई मात्र 26% खातों का ऑडिट हो सका है।
इस उदासीनता के चलते उत्तराखंड के सामने एक संकट खड़ा हो सकता है, क्योंकि पंचायती राज मंत्रालय के मुताबिक राज्यों को अब जून तक शत प्रतिशत ऑडिट कराना अनिवार्य हो गया है।
मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि जून माह तक शत-प्रतिशत ऑडिट न करने वाले राज्यों को 2024-25 से केंद्रीय वित्त आयोग से अनुदान नहीं दिया जाएगा।
पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक राजीव स्वरूप नाथ त्रिपाठी ने पर्वतजन से कहा कि स्टाफ न होने के चलते ऑडिट शत प्रतिशत नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब मार्च से जून तक स्पेशल ऑडिट अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें 118 चार्टर्ड अकाउंटेंट और उनके सहयोगियों की टीम के साथ प्रतिदिन 118 गांव का आर्डर किया जाएगा और इस तरह से 17 जून तक शत प्रतिशत ऑडिट पूरा हो जाएगा। इस तरह से 30 जून तक अनुदान भी जारी हो जाएगा।
ऑडिट की स्थिति देखें तो उत्तर प्रदेश की स्थिति भी उत्तराखंड से कहीं बेहतर है। वर्ष 2019 और 2021 के दोनों वर्षों में यूपी मे 92- 92% ऑडिट हो चुका है। जबकि उत्तराखंड में ऑडिट टीम की कमी के चलते वर्ष 2019-20 में 28% ऑडिट हुआ था और वर्ष 2020-21 में मात्र 26% ऑडिट हो सका है।
15वें वित्त आयोग ने शत-प्रतिशत खातों के ऑडिट को अनुदान देने के लिए अनिवार्य कर दिया है, इसलिए उत्तराखंड ने पिछले 2 वित्तीय वर्षों के ऑडिट की 25% की न्यूनतम सीमा से एक आध प्रतिशत से ऊपर अपने को बमुश्किल ला पाया है
शत प्रतिशत ऑडिट की इस शर्त को पूरा न करने वाले राज्यों को वर्ष 2024-25 से अनुदान नहीं दिया जाएगा। इसलिए उत्तराखंड पंचायती राज विभाग के लिए जून तक का समय काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।