संजीव चतुर्वेदी: जंगलराज के खिलाफ जंगलात का अफसर

देहरादून। भारतीय वन सेवा (IFS) के वरिष्ठ अधिकारी संजीव चतुर्वेदी आज देश में ईमानदारी, साहस और समाज सेवा के प्रतीक माने जाते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ निडर लड़ाई लड़ने वाले इस अधिकारी ने न केवल सिस्टम में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की कोशिश की, बल्कि अपने पुरस्कार और प्राप्त धनराशि को समाज सेवा में दान कर एक अनोखी मिसाल कायम की।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख

हरियाणा कैडर से आने वाले संजीव चतुर्वेदी ने अपने कार्यकाल में वन विभाग की वित्तीय अनियमितताओं, अवैध भूमि कब्ज़ों और कानून उल्लंघनों को उजागर किया। बाद में AIIMS, नई दिल्ली में मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) रहते हुए उन्होंने 200 से अधिक भ्रष्टाचार मामलों का पर्दाफाश किया। उनके साहसिक कदमों के कारण बड़े घोटाले सामने आए, लेकिन उन्हें ट्रांसफर, निलंबन और चार्जशीट जैसी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। इसके बावजूद, 2015 में उन्हें एशिया का नोबेल कहा जाने वाला रैमॉन मैग्सेसे पुरस्कार मिला।

समाज सेवा में बड़ा योगदान

चतुर्वेदी ने अपने पुरस्कार और क्षतिपूर्ति राशि को समाज सेवा में दान कर सबको चौंका दिया।

  • रैमॉन मैग्सेसे पुरस्कार की ₹19.85 लाख राशि कैंसर मरीजों की मदद के लिए AIIMS को दी।
  • उत्पीड़न मामले में मिली ₹25,000 राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा की।
  • पुलवामा शहीदों के लिए ₹2.70 लाख राशि ‘भारत के वीर’ फंड में दान की।

राष्ट्रपति और IB से मिली सराहना

संजीव चतुर्वेदी के पक्ष में भारत के राष्ट्रपति ने चार बार अवैध आदेश निरस्त किए, जो स्वतंत्र भारत में रिकॉर्ड है। वहीं, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने भी उन्हें “मेधावी अधिकारी” बताया और उनके साहस की सराहना की।

पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी पहल

संजीव चतुर्वेदी के नेतृत्व में उत्तराखंड में कई अनोखे पर्यावरणीय उपक्रम शुरू हुए, जैसे —

  • विश्व का पहला लाइकेन गार्डन
  • भारत का पहला मॉस गार्डन और क्रिप्टोगैमिक गार्डन
  • पहला फॉरेस्ट हीलिंग सेंटर
  • देश का सबसे बड़ा एरोमैटिक गार्डन
  • पहला पॉलिनेटर पार्क और भारत वाटिका

इन पहलों की सराहना उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने भी की।

न्यायपालिका में रिकॉर्ड

संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला अदालत तक 14 न्यायाधीशों ने खुद को अलग किया (Recusal)। यह स्वतंत्र भारत में किसी एक अधिकारी से जुड़े मामलों में अद्वितीय रिकॉर्ड माना जा रहा है।

वर्तमान चर्चित मामले

  • मसूरी वन प्रभाग: 7,375 सीमा स्तंभ गायब, जिसे चतुर्वेदी ने “सुनियोजित साजिश” बताया।
  • मुनस्यारी ईको-टूरिज्म घोटाला (₹1.63 करोड़): बिना टेंडर खरीद, फर्जी खर्च और निजी संस्थाओं को लाभ पहुँचाने का मामला, जिसकी CBI और ED जांच की सिफारिश की गई। इसे “कॉर्बेट-2” कहा जाने लगा है।

सिस्टम से लड़ने की चुनौती

संजीव चतुर्वेदी जैसे ईमानदार अधिकारी को विरोधियों द्वारा यहां तक आरोप झेलने पड़े कि उनके दफ्तर के “चाय-पानी के बिल” में गड़बड़ी हुई है। यह दर्शाता है कि भारत में भ्रष्टाचार विरोधी अधिकारियों के लिए सिस्टम में टिके रहना कितना चुनौतीपूर्ण है।

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